Friday, January 24, 2025

क्रांतिकारियों की शरणस्थली ग्राम नलगढ़ा में ग्राम समाज की करोड़ों रुपए की भूमि अतिक्रमण मुक्त

नोएडा। अमर बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु, आजाद हिद फौज में रहे करनैल सिंह द्वारा अंग्रेजी हुकुमत के दौरान अपनी शरणस्थली बनाने के लिए चर्चित नोएडा के सेक्टर-145 स्थित ग्राम नलगढ़ा में ग्राम समाज की करोड़ों रुपए की भूमि को  जिला प्रशासन ने अभियान चलाकर अतिक्रमणकारियों से मुक्त करा लिया।

उप जिलाधिकारी सदर अंकित कुमार ने बताया कि तहसीलदार सदर ने ग्राम नलगढ़ा में ग्राम समाज की भूमि को कब्जा मुक्त कराया गया है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश शासन की मंशा के अनुरूप एवं डीएम मनीष कुमार वर्मा के निर्देशों के क्रम में राजस्व विभाग की टीम के द्वारा जनपद में निरंतर अभियान चलाकर अवैध निर्माण एवं जमीनों को अवैध कब्जों से मुक्त कराए जाने की कार्रवाई की जा रही है। इसी क्रम में तहसीलदार सदर के द्वारा ग्राम नलगढ़ा की गाटा संख्या 122 जोकि वर्तमान में राजस्व अभिलेखों में ग्राम समाज की भूमि दर्ज है।

ग्राम समाज की भूमि पर लगभग 500 वर्ग मीटर भूमि पर निर्मित अवैध अतिक्रमण को जेसीबी के माध्यम से कब्जा मुक्त कराया गया एवं साथ ही ग्राम समाज की समस्त भूमि को चिन्हित करते हुए उस पर बोर्ड लगा दिया गया है कि यह संपत्ति ग्राम समाज की है एवं इस पर अतिक्रमण करने वालों के विरुद्ध कठोरतम कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। उप जिलाधिकारी सदर ने बताया कि आगे भी जिलाधिकारी के निर्देशों के क्रम में इसी प्रकार से कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए भूमि को अवैध कब्जों से मुक्त करने की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें कि  नोएडा सेक्टर-145 स्थित नलगढ़ा गांव में रखा पत्थर इस बात का गवाह है। अमर बलिदानी भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु आजाद हिद फौज में रहे करनैल सिंह के यहां कई साल तक छिपे रहे। नलगढ़ा गांव में ही क्रांतिकारियों ने बम तैयार कर आठ अप्रैल 1929 को नई दिल्ली स्थित ब्रिटिश हुकूमत की तत्कालीन सेंट्रल असेंबली के सभागार में फेंके थे। यहां आकर देश के महान क्रांतिकारी अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन की रणनीति भी अख्तियार करते थे। बताया जाता है कि यहां क्रांतिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता था।

नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे के किनारे बसा यह गांव कभी बिहड़ हुआ करता था। गांव में पहुंचने के लिए पहले नदी और फिर घने जंगल को पार करना पड़ता था। ग्रामीणों का दावा है कि यहां बम बनाने के लिए बारूद और अन्य सामग्री को जिस पत्थर पर रखकर मिलाया जाता था वह आज भी नलगढ़ा गांव के एक गुरुद्वारा में रखा है।

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