नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को मनीष सिसोदिया की जमानत पर सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने कल उठाये गए सवाल पर स्पष्ट किया कि हमने किसी को आरोपित बनाने के लिए नहीं कहा था, यह सिर्फ पूछा गया एक कानूनी सवाल था। कल कोर्ट ने पूछा था कि आबकारी मामले में जिस राजनीतिक दल को कथित तौर पर फायदा पहुंचा, तो उसे आरोपित क्यों नहीं बनाया गया।
मनीष सिसोदिया के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने आज कोर्ट को बताया कि चैनलों पर सुबह से ख़बर चल रही है कि शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी को भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) आरोपी बनाने वाला है।सुनवाई के दौरान 04 अक्टूबर को सिंघवी ने कहा था कि मामले में सभी आरोपितों को जमानत मिल चुकी है, लेकिन उच्च टारगेट लोगों को अभी तक जमानत नही मिली है।
सिंघवी ने कहा था कि मामले में कुल 50 हजार से ज्यादा दस्तावेज और पांच सौ से ज्यादा गवाह हैं। उन्होंने कहा था कि सिसोदिया के पास से एक पैसे की भी मनी लांड्रिंग का पता नहीं चला है। सरकारी गवाहों के बयान में सिसोदिया का लिंक नहीं मिला है। सिंघवी ने कहा था कि सभी आरोप विजय नायर पर जाकर रुक जाते हैं और विजय नायर पर आरोप है कि वह मनीष सिसोदिया के करीबी सहयोगी है।
सीबीआई ने सुप्रीम में दाखिल जवाबी हलफनामे में सिसोदिया की जमानत का विरोध करते हुए कहा है कि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं और वे ऐसे मामलों में जमानत के लिए निर्धारित ट्रिपल टेस्ट को भी पूरा नहीं करते है। सीबीआई ने सिसोदिया को जमानत नहीं देने का अनुरोध करते हुए कहा है कि पहले ही वह सबूत नष्ट कर चुके हैं और पूछताछ के दौरान भी सहयोग नहीं रहा। साथ ही वह राजनीतिक रूप से प्रभावशाली व्यक्ति हैं। ऐसे में सिसोदिया को जमानत नहीं दी जा सकती है।
सीबीआई ने अपने हलफनामे में मनीष सिसोदिया की बीमारी का जिक्र करते हुए कहा है कि उनकी पत्नी की बीमारी कोई नई बात नहीं है। उनकी बीमारी का इलाज पिछले 23 साल से चल रहा है। ऐसे में य़ह भी उनके जमानत का आधार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत याचिका पर 14 जुलाई को सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी किया था।