आज महाशिवरात्रि है। आज का दिन भगवान शिव की प्रसन्नता प्राप्त करने का, उनकी आराधना करने का विशेष पर्व है। भगवान शिव सृष्टि के कल्याण के देवता हैं जैसा कि उनके नाम से ही प्रकट होता है।
शिव अर्थात शुभ शंकर अर्थात कल्याण करने वाला। शुभ और कल्याणकारी चिंतन चरित्र एवं संस्कारों से अपने को सुसज्जित करना ही शिव आराधना है, उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है, जो अपने लिए कठोर और दूसरों पर शीघ्र प्रसन्न होने वाले हैं।
उसी प्रकार सच्चा शिव भक्त स्वयं के प्रति कठोर तथा दूसरों के प्रति उसकी दृष्टि उदार होती है। वह प्रत्येक व्यक्ति के शुभ की कामना करता है। किसी का अशुभ करने की कल्पना उसके हृदय में स्थान ही नहीं ले पाती। शिव समुद्र मंथन से निकले विष का स्वयं पान कर लेते हैं, जिसके कारण उनके कंठ का वर्ण नीला हो गया और उन्हें नीलकंठ नाम दिया गया।
सभी शिवभक्तों को उन्हीं का अनुसरण करना चाहिए। दूसरे के कष्टों को दूर करने का भरसक प्रयास करे और दूसरों के लिए शुभ है, हितकारी है वह उन्हें अर्पित करता रहे।
प्रत्येक शिव भक्त नि:स्वार्थ होकर पीडि़तों, शोषितों के कल्याणार्थ त्याग की भावना से कार्य करें, तभी भगवान शिव की कृपा की पात्रता प्राप्त होगी।