Saturday, November 23, 2024

मित्रता कैसे निभाई जाती है, यह श्रीकृष्ण सुदामा से समझ सकते हैं-आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय

मुजफ्फरनगर। जानसठ रोड स्थित आशीर्वाद बैंकटहॉल में सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के अंतिम दिन की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण के भजनों से हुई। वृंदावन से पधारे कथा व्यास  आचार्य धर्मेन्द्र उपाध्याय ने सातवें दिन भगवान श्रीकृष्ण की अलग-अलग लीलाओं का वर्णन किया गया।
मां देवकी के कहने पर छह पुत्रों को वापस लाकर मां देवकी को वापस देना सुभद्रा हरण का आख्यान कहना एवं सुदामा चरित्र का वर्णन किया। कथा व्यास आचार्य धर्मेंद्र उपाध्याय जी महाराज ने बताया कि मित्रता कैसे निभाई जाए यह भगवान श्रीकृष्ण सुदामा से समझ सकते हैं।
उन्होंने कहा कि सुदामा अपनी पत्नी के आग्रह पर अपने मित्र से मिलने के लिए द्वारिका पहुंचे। उन्होंने कहा कि सुदामा ने द्वारिकाधीश के महल का पता पूछा और महल की ओर बढऩे लगे। द्वार पर द्वारपालों ने सुदामा को भिक्षा मांगने वाला समझकर रोक दिया, तब उन्होंने कहा कि वह कृष्ण के मित्र हैं, इस पर द्वारपाल महल में गए और प्रभु से कहा कि कोई उनसे मिलने आया है। अपना नाम सुदामा बता रहा है।
जैसे ही द्वारपाल के मुंह से उन्होंने सुदामा का नाम सुना, प्रभु सुदामा सुदामा कहते हुए तेजी से द्वार की तरफ भागे, सामने सुदामा सखा को देखकर उन्होंने उसे अपने सीने से लगा लिया। सुदामा ने भी कन्हैया कन्हैया कहकर उन्हें गले लगाया। दोनों की ऐसी मित्रता देखकर सभा में बैठे सभी लोग अचंभित हो गए। भगवान श्रीकृष्ण ने सुदामा को अपने राज सिंहासन पर बैठाया। उन्हें कुबेर का धन देकर मालामाल कर दिया, जब-जब भी भक्तों पर विपदा आ पड़ी प्रभु उनका तारण करने अवश्य आए हैं।
कथा व्यास धर्मेंद्र उपाध्याय महाराज ने कहा कि जो भी भागवत कथा का श्रवण करता है, उसका जीवन तर जाता है। श्रीमद्भागवत कथा में सत्यप्रकाश अग्रवाल, अजय गर्ग, संजीव कंसल,  कमल मित्तल आदि विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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