नई दिल्ली। दिल्ली की सत्ता गंवाने के बाद आम आदमी पार्टी (AAP) को एक और बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने AAP नेता और दिल्ली के पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलाने के लिए प्रवर्तन निदेशालय (ED) को अनुमति दे दी है। अब ED राष्ट्रपति की मंजूरी का हवाला देते हुए अदालत में एक नया पूरक आरोपपत्र दाखिल करेगी।
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गृह मंत्रालय ने सत्येंद्र जैन के खिलाफ भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की अनुमति मांगी थी। मंत्रालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच और उपलब्ध सबूतों के आधार पर जैन के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की अनुमति देने का अनुरोध राष्ट्रपति से किया था, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।
सत्येंद्र जैन पर कथित हवाला लेनदेन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में केस दर्ज किया गया था। मई 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उन्हें गिरफ्तार किया था। हालांकि, वह फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। ED ने उनके खिलाफ आरोप पत्र दायर किया था, जिसमें उन पर वित्तीय गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए गए थे।
मनी लॉन्ड्रिंग का मामला इस आरोप पर दर्ज किया गया था कि 2015 से 2017 के बीच सत्येंद्र जैन ने विभिन्न व्यक्तियों के नाम पर चल संपत्ति अर्जित की, जिसका वह संतोषजनक हिसाब नहीं दे सके। बाद में ED ने धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत भी मामला दर्ज किया और आरोप लगाया कि उनके स्वामित्व वाली और नियंत्रित कई कंपनियों ने हवाला के जरिए कोलकाता स्थित एंट्री ऑपरेटरों को नकद भुगतान किया और बदले में 4.81 करोड़ रुपये की आवास प्रविष्टियां प्राप्त कीं।
जांच एजेंसी ने अदालत में पेश किए गए सबूतों में बताया कि सत्येंद्र जैन की कंपनियों ने कोलकाता के कुछ एंट्री ऑपरेटरों के माध्यम से ब्लैक मनी को व्हाइट किया। इस मामले में ED ने जैन की गिरफ्तारी के बाद कई छापेमारी की और कई दस्तावेज जब्त किए।
राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद अब ED अदालत में पूरक आरोप पत्र दाखिल करेगी। यदि अदालत आरोप तय करती है, तो सत्येंद्र जैन पर मनी लॉन्ड्रिंग के तहत मुकदमा चलेगा। इस मामले में आगामी सुनवाई महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि इसमें कई राजनीतिक पहलू भी जुड़े हुए हैं।
AAP पार्टी ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है, जबकि विपक्षी दलों का कहना है कि भ्रष्टाचार के मामलों में सख्त कार्रवाई जरूरी है। अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में आगे क्या फैसला सुनाती है।