उत्तरकाशी। उत्तराखंड के जोशीमठ में क्या हो रहा है, इस बात से आप सभी अच्छी तरह वाकिफ हैं। जोशीमठ में खतरा अभी टला भी नहीं कि दूसरी ओर प्रदेश पर एक और बड़ा खतरा मंडरा रहा है, और ये खतरा है टिहरी बांध की झील से। उत्तराखंड के सबसे बड़े टिहरी बांध की झील से उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ क्षेत्र में भूधंसाव बढ़ रहा है। चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी के पास भूधंसाव और भूस्खलन का खतरा मंडरा रहा है। इस वजह से गंगोत्री हाईवे समेत कई सरकारी और गैर सरकारी स्कूलों के अलावा आवासीय भवनों के पास दरारों का खतरा मंडराने लगा है।
इसे लेकर जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल पुनर्वास निदेशक एवं जिलाधिकारी टिहरी समेत टीएचडीसी के महानिदेशक से मिलेगा। आपको बता दें कि उत्तरकाशी जिले के चिन्यालीसौड़ के अंतर्गत सामरिक ²ष्टि से हवाई पट्टी बेहद महत्वपूर्ण है। यहां से चीन सीमा की हवाई दूरी 122 किमी है। आए दिन यहां वायु सेना की टुकड़ियां हवाई अभ्यास और ट्रेनिंग के लिए आती रहती हैं।
इस हवाई पट्टी से सिर्फ 500 मीटर की दूरी पर गंगोत्री हाईवे के चिन्यालीसौड़, पीपलमंडी, बड़ेथी और नागनीसौड़ के लगभग 5 किमी क्षेत्र में भूधंसाव हो रहा है। आलम ये है कि यहां कई स्थानों पर आधे से एक फुट तक जमीन धंस रही है। वन विभाग, ऊर्जा निगम, मेरी माता स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, राजकीय आदर्श इंटर कालेज, सरस्वती विद्या मंदिर, चिन्यालीसौड़ बाजार, बिजल्वाण मोहल्ला समेत कई आवासीय भवनों के एक बड़े भूभाग में तेजी से भूधंसाव हो रहा हैं। इससे लोग परेशान हो रहे हैं।
नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष शूरवीर रांगड़ का कहना है कि टिहरी बांध परियोजना की झील से चिन्यालीसौड़ मुख्यालय समेत 16 गांवों के तटवर्ती हिस्सों में भूधंसाव हो रहा है। टीएचडीसी की ओर से प्रभावित क्षेत्र के कुछ हिस्सों में निर्माण कार्य किया गया था। अब एक बार फिर से दरारें पड़ने लगी हैं। जल्द ही एक प्रतिनिधि मंडल पुनर्वास निदेशक से मिलने जाएगा।