मुजफ्फरनगर। चेहल्लुम ए इमाम हुसैन के मौके पर मजलिस (शोक सभा) के बाद जुलूस निकला। जिसमें या हुसैन, या हुसैन की सदाओं के बीच शिया सोगवारों ने मातम और नोहाख्वानी (शोक गीत) की। शहर के कई रास्तों से होता हुआ जुलूस काली नदी पार कर करबला पहुंचा। इससे पहले नदीवाला प्रेमपुरी इमामबारगाह में मजलिस हुई।
जिसमें शोहदा ए करबला (करबला के शहीद) को खिराज ए अकीदत (श्रद्धांजलि) पेश की गई। रविवार रात में इमामबारगाह आरफी में भी शब-ए-बेदारी का आयोजन किया गया। जिसमें रात भर इमाम हुसैन और उनके जां नशीनों के बलिदान को याद किया गया।
जुलजुनाह की जियारत कर रोए सोगवार: अंजुमन दुआए जहरा के प्रवक्ता रौनक जैदी ने बताया, सोमवार को हजरत इमाम हुसैन व उनके जांनशीनों की शहादत की याद में मजलिस ए चेहल्लुम आयोजित की गई। मजलिस दो बजे प्रेमपुरी इमामबारगाह में शुरू हुई। जिसकी शुरुआत अली शाह और अंसार हुसैन की सोजख्वानी से हुई। मजलिस को मौलाना आदिल मंजूर ने खिताब (संबोधन) फरमाया। जिसमें उन्होंने नवासाए रसूल हजरत इमाम हुसैन की करबला के मैदान मेंं किये गए त्याग और बलिदान का जिक्र किया। मौलाना ने फरमाया कि हजरत इमाम हुसैन और उनके जां नशीनों ने करबला में बेशुमार कुर्बानियां पेश कर अपने नाना के दीन को बचा लिया। जिसके बाद जुलूस निकला। जिसमें शिया सोगवार शोहदाए करबला को ताजीयत (श्रद्धांजलि) पेश करते हुए आगे बढे। जुलूस नदीवाला इमामबारगाह से भारत माता चौक, लोहिया बाजार, हनुमान चौक, गऊशाला रोड होते हुए काली नदी पार कर करबला पहुंचा। शिया सोगवार जुलजुना (घोड़ा इमाम) की जियारत कर जार-जार रोए। जुलूस का संचालन शान जख्मी मुजफ्फरनगरी ने किया।
जुलूस में शहर की सभी मातमी अंजुमन नौहाख्वानी व सीनाजनी की। जिनमें शाहाब जैदी, शाहाब जैदी, शबी हैदर, शादाब आलम, मो. असकरी, शोजब जैदी, कल्बे हसनैन, काशिफ, लारेब व शबी हैदर, जामिन आरफी, इकराम मेंहदी, आसिफ रियाज, मो. अनवर, अली शहजाद, अली हसनैन, नसीम हैदर एड., मो. वसी, शाहजम, जफर आरफी, मो. अस्करी आदि ने नोहाख्वानी की।