Thursday, January 2, 2025

बांग्लादेश से वापस मुरादाबाद लौटा अजय सैनी, बोला- परिवार से मनमुटाव के चलते पत्नी के पास चला गया था बांग्लादेश

मुरादाबाद। मुरादाबाद के टैक्सी ड्राइवर अजय और बांग्लादेशी जूलिया अख्तर उर्फ जूली प्रकरण में सोमवार रात्रि पुलिस क्षेत्राधिकारी सिविल लाइंस अर्पित कपूर ने बताया कि प्यार में सीमा पार कर बांग्लादेश जाकर ढाई माह बाद वापस लौटा अजय आखिरकार मां और भाई के साथ पुलिस के सामने आया। सिविल लाइंस पुलिस ने आज सुबह से उससे पूछताछ शुरू कर बिंदुवार जानकारी ली।

सात-आठ घंटे की पुलिस पूछताछ में अजय ने बताया कि परिवार से मनमुटाव के कारण वह पत्नी के पास बांग्लादेश चला गया था। उसने किसी भी प्रकार के टार्चर किए जाने की भी बात से इंकार किया। यह भी बताया कि पुलिस और परिवार के लोगों का बार-बार कॉल आने के कारण वह लौट आया। हालांकि चोट के बारे में उसने बताया कि बारिश में फिसलने के कारण उसे चोट लगी थी।

पाकिस्तान की सीमा हैदर और नोएडा के सचिन की लव स्टोरी की तरह मुरादाबाद के अजय और बांग्लादेश की जूलिया अख्तर उर्फ जूली की भी चर्चा शहर की गली-गली से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया तक हो रही हैं। सीमा और सचिन की पब्जी गेम से दोस्ती हुई वहीं अजय और जूली इंस्टाग्राम और फेसबुक से एक दूसरे के करीब आ गए।

अजय सैनी मूलरूप से मुरादाबाद के थाना भोजपुर के बीजना गांव का निवासी और टैक्सी ड्राइवर हैं। वर्तमान में मुरादाबाद के थाना सिविल लाइन के नया गांव गौतम नगर में परिवार के साथ किराए पर रहता हैं। दो वर्ष पहले इंस्टाग्राम और फेसबुक पर अजय ने जूली नाम की महिला से फेसबुक पर चैटिंग प्रारंभ की जो धीरे-धीरे पहले दोस्ती और फिर प्यार में बदल गई। अजय को बाद में पता चला था कि वह महिला बांग्लादेश के ढाबा स्थित गाजीपुर की रहने वाली है और उसका असली नाम जूलिया अख्तर हैं।

फेसबुक पर उसने सिर्फ जूली नाम से आईडी बनाई थी जबकि गौतम नगर नया गांव निवासी अजय सैनी ने चौधरी अजय सिंह के नाम से फेसबुक पर एकाउंट खोला था। शुरुआत में जूली ने अपनी पूरी जानकारी अजय को नहीं दी थी। धीरे-धीरे दोस्ती बढ़ती गई तो वह अपने भेद खोलने लगी थी। दोनों की फोन पर भी लंबी बात होती थी। अजय रील बनाकर फेसबुक पर पोस्ट करता था। जिसके जरिए अजय और जूली के बीच दोस्ती और ज्यादा बढ़ती चली गई।

जूली जून 2022 में अजय से मिलने के लिए घर पर आ गई। साथ में 11 साल की बेटी हलीमा भी थी। जूली ने देखा कि अजय का परिवार यहां किराये के छोटे से मकान में रहता है। उसने मकान और गाड़ी सब कुछ अपना होने की बात कही थी जबकि जूली को यहां आकर पता चला कि उसके पास कुछ भी नहीं है। इसके बाद दोनों के बीच कई बार यहां भी झगड़ा हुआ है। फिर वह पांच दिन अजय के साथ रही।

इसके बाद ट्यूबवैल कालोनी स्थित शिव मंदिर में हिंदू रीति-रिवाज से शादी कर ली। इसके 10 दिन बाद जूली बेटी हलीमा के साथ यह कहकर वापस बांग्लादेश चली गयी थी कि 15 दिन के वीजा पर आयी थी। करीब चार महीने पहले जूली फिर बेटी के साथ लौट आई। करीब डेढ़ महीना अजय के साथ रही और होली के बाद जूली बेटी को लेकर पुनः बांग्लादेश चली गयी।

अजय की मां सुनीता के अनुसार जूली के बांग्लादेश जाने के कुछ समय बाद उसका बेटा अजय भी कोलकाता होते हुए बांग्लादेश बार्डर पर पहुंच गया। अजय ने बांग्लादेश पहुंचने के बाद अपना फोटो भेजने के साथ वाट्स एप काल से बात भी की थी। 10 जुलाई को अजय ने अपना एक फोटो खून से लथपथ  भेजा व दूसरे फोटो जो भेजा उसमें उसके पट्टी बंधी हुई थी। इसके बाद उसने डाक्टर का पर्चा भी भेजा। जांच के दौरान ही सुनीता के फोन पर अजय की वाट्सएप काल आयी। सुनीता के साथ जांच अधिकारी ने भी अजय से बात की।

मुरादाबाद सिविल लाइंस के पुलिस क्षेत्राधिकारी अर्पित कपूर ने बताया था कि पुलिस टीम ने अजय के घर पूछताछ की थी। इसके अलावा पुलिस ने अजय से व्हाट्सएप काॅल के जरिए बातचीत भी की थी जिसमें उसने बताया था कि उसके परिवार के लोग उसे बेदखल कर रहे थे। इसलिए वह अपनी मर्जी से जूली के पास बांग्लादेश आ गया था। अजय ने यह भी बताया था कि जूली के पति की मौत हो चुकी हैं। यहां जूली का अपना मकान है। जिसमें 7-8 कमरे हैं। उन कमरों के किराये से वह अपने परिवार का खर्चा करती है।

गुरुवार को अजय बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल के लिए चल दिया था और पश्चिम बंगाल से सीधे उसे मुरादाबाद आना था लेकिन शुक्रवार को उसका फोन स्विच ऑफ हो गया जिसके बाद उसकी जानकारी पुलिस को नहीं मिल पा रही थी । वहीं मुरादाबाद के नया गांव में रह रहा उसका परिवार भी गायब हो गया था और घर पर ताला लगा हुआ था। जिसके बाद पुलिस ने साइबर सेल के माध्यम से अजय के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगाकर लोकेशन जुटाई। पुलिस के अनुसार रविवार को मुरादाबाद पहुंचने के बाद अजय गायब हो गया था। कल बीती देर रात्रि मोबाइल सर्विलांस के माध्यम से पुलिस ने अजय का पता निकाल लिया था वह मुरादाबाद में ही था।

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