Saturday, April 27, 2024

गर्म कपड़ों के साथ-साथ बुजुर्गों को चाहिए स्नेह-प्यार की गर्माहट

मुज़फ्फर नगर लोकसभा सीट से आप किसे सांसद चुनना चाहते हैं |

प्रदूषण और कड़ाके की ठंड और धुंध तथा अकेलेपन से पीडि़त बुजुर्गों का कहना है कि सर्दी से निपटने के लिए जहां स्नेह और प्यार की बड़ी जरूरत है, वहीं घर में अकेले पड़े रहने के कारण हमें स्नेह और प्यार की सबसे बड़ी जरूरत है। भारत की सबसे बड़ी कंपनी जो इस फील्ड में काम कर रही है ने एक सर्वेक्षण करवाया कि पौष (दिसंबर और जनवरी) माह में ज्यादा ठंड पडऩे के कारण बुर्जुग लोगों को घरों में बंद होना पड़ता है, जहां बुजुर्गोंं को अपनों का साथ नहीं मिलता जिससे वह अवसाद और कई प्रकार की भयंकर बीमारियों का शिकार हो जाते हैं।

 

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बुजुर्गों के हितों के लिए काम करने वाली संस्था और वृद्ध आश्रम चलाने वाले अधिकतर स्वयं सेवकों ने बताया कि उम्र दराज लोगों को परिवार का साथ और संबंधों में अपनेपन की सबसे अधिक जरूरत होती है।

 

यह पूछे जाने पर कि सर्दियों मेंं मौसम में उन्हें सबसे अधिक किस वस्तु की जरूरत होती है। 51 फीसद लोगों का उत्तर था कि सर्दियों के मौसम में सबसे ज्यादा गर्म कपड़ों की जरूरत होती है, लेकिन उससे भी अधिक अपनों के स्नेह प्यार की जरूरत होती है। 25 फीसद लोगों का कहना है कि सर्दियों के मौसम जीवन साथी का साथ सबसे अधिक भाता है, 19 फीसद बुजुर्ग जिनकी जीवन साथी साथ छोड़ कर प्रभु को प्यारी हो चुकी हैं वे अकेलेपन को ज्यादा महसूस करते हैं, वह गर्म कपड़ों और हीटर की बातें करते हैं। 8 फीसद बुजुर्ग पीढ़ी खाने-पीने को प्राथमिकता देती है और सर्दियों से बचने के लिए उपायों की बातें करती हैं।

 

अधिकतर बुजुर्ग जो सांस की बीमारियों से पीडि़त हैें प्रदूषण के कारण उन्हें कई कठनाईयों का सामना करना पड़ता है। कभी सांस रुकने के कारण इन्हेलर की मदद लेनी पड़ती है,इसका प्रभाव जहां शरीर पर पड़ता है तो कभी-कभी मन भी उदास होने लगता है। कई बुजुर्गों का कहना है कि सर्दियों के मौसम में ज्यादा ठंड होने के कारण दोस्तों से  मिलने के लिए कई कई दिन लग जाते हैं। अपनी निजी समस्याओं का आदान प्रदान नहीं कर पाते, अत: दिल का गुब्बार दिल में ही भरा रह जाता है।

 

 

कड़ाके की ठंड और प्रदूषण बुजुर्गों का सबसे बड़ा दुश्मन है और दिनचर्या भी प्रभावित होती है। प्राय: सायं की सैर रुक जाती है, कई बार बच्चों सहित पति-पत्नी बाहर चले जाते हैं, बुजुर्गों को अकेला घर छोड़ जाते हैं, ऐसी स्थिति में जहां वे अकेलापन महूसस करते हैं, वहीं उदास भी रहने लगते हैं। प्रदूषण को लेकर कई पुरुष चिंतित दिखे, सर्दियों में उनकी सेहत बिगडऩे के अवसर भी बढ़ जाते हैं, शरीरिक कठिनाईयां भी बढऩे लगती है, कभी जोड़ों का दर्द, कभी पीठ का दर्द, गठिया ज्यादा तंग करता था।

 

 

कई बुजुर्ग ब्लड प्रैशर, शुगर, हार्ट अटैक, चमड़ी रोगो, यूरिन समस्या से घिरे रहने की समस्या का सामना कर रहे हैं। बच्चों की उदासीनता और सहानुभूति न होने के कारण डिप्रैशन का रोग बढऩे लगता है, देखने में आया है कि बुर्जुगों में कैंसर का रोग भी मार कर रहा है, बुजुर्ग महिलाओं में स्तन कैंसर का रोग लगातार बढ़ रहा है। पंजाब में मल्टी स्पैशलिस्ट हस्पतालों ने सभी जिलों में विशेष मैडीकल चैकअप कैंप ल्गाने का अभियान छेड़ा हुआ है,परंंतु ठंड होने के कारण इन कैम्पों में लोगों की संख्या बहुत कम दिखने को मिल रही है,अत: बुजुर्ग लोगों का कहना है कि खिली धूप में ही हम मैडीकल कैम्पों में पहुंच सकते हैं।
सुभाष आनंद – विनायक फीचर्स

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