Sunday, April 28, 2024

दिल्ली-मेरठ रैपिड एक्स कॉरिडोर पर एक और टनल ब्रेक थ्रू में सफलता हासिल

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नयी दिल्ली। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) ने बुधवार को दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिडएक्स कॉरिडोर पर गाज़ियाबाद में एक और टनल ब्रेक थ्रू में सफलता हासिल की।

टनल बोरिंग मशीन (टीबीएम) सुदर्शन 4.3 ने वैशाली मेट्रो स्टेशन के पास निर्मित रिट्रीवल शाफ्ट से इस टनल का ब्रेकथ्रू किया। इससे पहले, सुदर्शन 4.1 द्वारा इसी साल अप्रैल में दिल्ली सेक्शन की पहली टनल का सफल ब्रेक थ्रू किया गया था।

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सुदर्शन 4.3 को आनंद विहार रैपिडएक्स स्टेशन से साहिबाबाद की ओर दो किलोमीटर लंबी टनल का निर्माण करने के लिए लॉन्च किया गया था। आनंद विहार रैपिडएक्स स्टेशन के उत्तर में निर्मित लॉन्चिंग शाफ्ट से इस टीबीएम ने टनल की खुदाई का कार्य शुरू किया था और महज 11 महीनों से भी कम समय में इसका निर्माण सफलतापूर्वक पूर्ण कर लिया। रैपिडएक्स टनलों का व्यास 6.5 मीटर है जो 180 किमी प्रति घंटे की समान डिजाइन गति के साथ चौड़े एवं ऊँचे रोलिंग स्टॉक के लिए विश्व में निर्मित अन्य टनलों के वैश्विक बेंचमार्क की तुलना में काफी अनुकूलित है। देश में अन्य रेल-आधारित शहरी सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों की तुलना में, यह पहली बार है जब इतने बड़े आकार की सुरंग का निर्माण किया जा रहा है।

82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ रैपिडएक्स कॉरिडोर पर, दोनों दिशाओं में आवागमन के लिए दिल्ली और गाज़ियाबाद सेक्शन में कुल चार टनलों का निर्माण किया जा रहा है। आनंद विहार से न्यू अशोक नगर रैपिडएक्स स्टेशन की ओर लगभग प्रत्येक तीन किमी लंबी दो समानांतर टनलें और आनंद विहार से साहिबाबाद रैपिडएक्स स्टेशन की ओर लगभग प्रत्येक दो किमी लंबी दो समानांतर टनलें निर्मित की जा रही हैं।

दिल्ली और गाजियाबाद के भूमिगत खंड में प्रस्तावित चार टनलों के लिए कुल चार सुदर्शन (टीबीएम) निर्माण कार्य कर रही थीं, जिसमें से दो का निर्माण इस टनल ब्रेकथ्रू के साथ पूरा हो गया है । अन्य दो सुरंगों की कुल लंबाई में से मात्र लगभग 800 मीटर की टनल बोरिंग का कार्य शेष है, जिसके लिए दो सुदर्शन दिन-रात काम कर रहे हैं, जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।

आनंद विहार से साहिबाबाद के बीच निर्मित इस दो किलोमीटर लंबी टनल के निर्माण के लिए 9500 से अधिक हाई-प्रीसीशन वाले प्री-कास्ट टनल सेगमेंट्स का उपयोग किया गया है जो टनल का लंबा जीवन-काल सुनिश्चित करेगी। टनल बोरिंग की इस प्रक्रिया के तहत सात प्री-कास्ट सेगमेंट्स को जोड़कर एक टनल रिंग का निर्माण किया जाता है। प्रत्येक सेगमेंट 1.5 मीटर लंबा और 275 मिमी मोटा होता है। इन सेगमेंट्स और रिंग्स को बोल्ट की सहायता से जोड़ा जाता है। इस सेक्शन के टनल सेगमेंट्स की कास्टिंग दिल्ली के कड़कड़डूमा में स्थापित एनसीआरटीसी के कास्टिंग यार्ड में की जा रही है।

इस सेक्शन में टनलिंग एक चुनौतीपूर्ण कार्य था क्योंकि साहिबाबाद की ओर बढ़ते हुए यह सुरंग एक फ्लाईओवर, एक नाले और औद्योगिक प्रतिष्ठानों के नीचे से गुज़रती है। एनसीआरटीसी ने रणनीतिक योजना के क्रियान्वयन और अभिनव तरीकों के माध्यम से इन चुनौतियों पर सफलता हासिल कर, आमजन को कम से कम असुविधा सुनिश्चित करते हुए इस कार्य को संभव बनाया।

एनसीआरटीसी ने वर्ष 2025 तक पूरे 82 किलोमीटर लंबे दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर को जनता के लिए संचालित करने का लक्ष्य रखा है। हालांकि इससे पहले, साहिबाबाद से दुहाई के बीच 17 किमी लंबे प्राथमिकता खंड में, इसकी निर्धारित समयावधि से पहले ही ट्रेनों का संचालन आरंभ कर दिया जाएगा।

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