मथुरा। सोमवार को मथुरा पहुंचे सीएम योगी ने एक निजी विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में कहा कि “समाजवादी चिंतक राम मनोहर लोहिया की रचनाओं को देखता हूं। हो सकता है कि उनका मंदिरों में जाना न रहा हो। लेकिन उनसे एक बार पूछा गया कि भारत की एकता के आधार बिंदू क्या हैं? उन्होंने इस पर विस्तार से लिखा भी। उन्होंने बताया, देश बने हैं और बिगड़े भी। परंपराएं आई हैं और समाप्त भी हुईं हैं। लेकिन अगर भारत, भारत बना हुआ है, इसके पीछे तीन महापुरुषों का सबसे अधिक योगदान है।
इन तीन आस्था है तो बाल भी बांका नहीं होगा
इस तीन पर जब तक आस्था बनी रहेगी तक तक भारत बना रहेगा। ये तीन हैं- एक राम, एक कृष्ण और एक शिव। जब तक इन तीन के प्रति आस्था बनी रहेगी, दुनिया की कोई ताकत भारत का बाल-बांका नहीं कर पाएगा।” सीएम ने कहा, “हम सब प्राचीन विरासत को लेकर चल रहे हैं। पूरब से लेकर पश्चिम तक भगवान श्रीकृष्ण को आप देखिए। अरुणाचल में आज भी रुकमणी की कथा रची-बसी है। हम इस जमीन पर आने के बाद राधे-राधे कहने से रोक नहीं पाते हैं। त्रेता युग में उत्तर से दक्षिण को जोड़ने का काम हुआ था। पूरे भारत को एक सूत्र में जोड़ने का काम तो भगवान शिव की आस्था से आज भी जुड़ी है। राम, शिव और कृष्ण ही भारत की पहचान हैं। भारत के निर्माण में इन्हीं 3 महापुरुषों का योगदान रहा।”
CM ने कहा, “आप मंदिर जाएं या न जाएं। पूजा करें या न करें। ये आपके विषय हैं। आप लेटकर, बैठकर कैसे भी पूजा करते हैं। ये आपका विषय है। आस्था को किसी पर थोपने का काम नहीं किया, हमने सबको जोड़ने का काम किया। ज्ञान के लिए सभी दिशाओं को खुला रखो। जैसे एक विदेशी आक्रांता ने नालंदा के सबसे बड़े पुस्तकालय में आग लगाई थी। लोगों ने समझाया कि भारत की धरोहर को नष्ट करने का काम कर रहे हैं।
उसने कहा कि कैसा ज्ञान… क्या इसमें जो ज्ञान है, वो कुरान से ज्यादा है। अगर है तो उसकी हमें जरूरत नहीं है। इस विकृत मानसिकता को दुनिया ने स्वीकार नहीं किया। जब भी कोई अपनी बात को जबरन दुनिया पर थोपता है, तो उसे मान्यता नहीं मिलती है।”
योगी ने कहा, “जब साधना नहीं थी, तब भी नालंदा जैसे विश्वविद्यालय दुनिया को रास्ता दिखाते थे। युवा वहां पर ज्ञान प्राप्त करते थे। ऐसे ही उदाहरण पेश करने होंगे। ये सरकार के भरोसे नहीं होगा। ये आपके और सरकार के सामूहिक प्रयास से होगा।”
परंपरागत चिकित्सा पद्धति को भुला दिया
हल्दी का जिक्र करते हुए सीएम योगी ने कहा, यूपी के पूर्व डीजीपी ने फोन कर कहा कि मेरा ग्रैंडसन आपसे मिलने के लिए उत्सुक है। पांच मिनट का समय दे दीजिए बस। मैंने कहा लेकर आ जाइए। आए तो मिलने का कारण पूछा। उन्होंने बताया, मैं विदेश में रहता हूं। एक दिन कार से ऑफिस जा रहा था, देखा एक रेस्टोरेंट के बाहर लंबी लाइन लगी थी। गाड़ी पार्क कर वहां पहुंचा तो देखा लोग हल्दी का पानी दे रहे थे। ये क्या होता है। मैंने कहा- क्या आपने अपनी मां या दादी के हाथ से बना खाना नहीं खाया। दाल, सब्जी, खिचड़ी ये खाया नहीं।
ग्रैंडसन ने बताया- खाया तो है, पर हल्दी क्या है। मैंने कहा- भारतीय रसोई बगैर हल्दी के चल ही नहीं सकती है। और कोई अतिथि आता है तो हम उसका टीका भी हल्दी से करते हैं। कोरोना काल ने सबको समझा दिया हल्दी क्या होता है। भारतीय रसोई का एक अभिन्न हिस्सा है। लेकिन हम भूल गए हैं। हमने अपनी परंपरागत चिकित्सा पद्धति को भुला दिया है। योग से दूरी बना ली है।
हमें अब प्रोडक्ट के साथ प्रजेंटेशन अच्छा करना होगा: योगी
CM ने कहा, “हम सिर्फ दूसरों की चीजों को ही सही मानते हैं। एक बार एक राजगुरु हमसे मिलने आए, उन्होंने एक गिफ्ट दिया तो उन्हीं के सामने खोला। अंदर एक वस्तु थी। मैंने उनसे कहा कि ये तो हमारे यहां 5 रुपए का है। फिर मैंने उन्हें एक गिफ्ट दिया। उन्होंने खोला। देखा तो उन्हें पसंद आया। उन्होंने पूछा ये कितने का है। मैंने कहा 500 रुपए का। उन्होंने कहा कि प्रोडक्ट अच्छा है, लेकिन पैकेजिंग अच्छी नहीं है। हमें अब प्रोडक्ट के साथ प्रजेंटेशन अच्छा करना होगा।”