लखनऊ- उत्तर प्रदेश विधानसभा ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए सात लाख 36 हजार 437 करोड़ 71 लाख रुपये का वार्षिक बजट सर्वसम्मति से पारित हो गया और इसके साथ ही सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दी गयी।
पिछले साल राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 6.90 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बजट पेश किया था। मौजूदा बजट पिछले वित्तीय वर्ष के बजट से छह फीसदी अधिक है। बजट में लगातार आठवीं बार किसी नये कर का प्राविधान नहीं किया गया है जबकि 24 हजार 863 करोड़ 57 लाख रुपये की नई योजनाएं प्रस्तावित की गई हैं।
बजट के अनुसार, कुल 7,21,333.82 करोड़ रुपये की प्राप्तियां अनुमानित हैं, जिसमें 6,06,802.40 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्तियां और 1,14,531.42 करोड़ रुपये की पूंजीगत प्राप्तियां शामिल हैं। राजस्व प्राप्तियों में कर राजस्व का हिस्सा 4,88,902.84 करोड़ रुपये है। इसमें राज्य का कर राजस्व 2,70,086 करोड़ रुपये और केंद्रीय करों में राज्य का हिस्सा 2,18,816.84 करोड़ रुपये शामिल है।
सरकार के अब तक के सबसे बड़े बजट में कुल 7,36,437.71 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान लगाया गया है। कुल व्यय में से 5,32,655.33 करोड़ रुपये राजस्व खाते पर और 2,03,782.38 करोड़ रुपये पूंजी खाते पर खर्च करने का प्रस्ताव है। समेकित निधि की प्राप्तियों से कुल व्यय घटाने के बाद 15,103.89 करोड़ रुपये के घाटे का अनुमान है। इसके अलावा, सार्वजनिक खाते से 5,500 करोड़ रुपये की शुद्ध प्राप्तियां होने का अनुमान है। पूरे लेनदेन का शुद्ध परिणाम शून्य से 9,603.89 करोड़ रुपये कम होने का अनुमान है। 38,189.66 करोड़ रुपये के शुरुआती शेष को ध्यान में रखते हुए, समापन शेष 28,585.77 करोड़ रुपये होने का अनुमान है।
राजकोषीय घाटा 86,530.51 करोड़ रुपये अनुमानित है, जो वर्ष के अनुमानित सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 3.46 प्रतिशत है, जो राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) में तय सीमा से कम है।
वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए यूपी सरकार के वार्षिक बजट में ग्रामीण क्षेत्रों और किसानों के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।