अमृतसर। पंजाब के अमृतसर स्थित हेरिटेज स्ट्रीट में गणतंत्र दिवस के दिन डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा की बेअदबी और संविधान की पत्थर की कृति को जलाने की घटना ने पूरे प्रदेश में आक्रोश फैला दिया है। इस शर्मनाक घटना की राजनीतिक, सामाजिक और आम नागरिकों द्वारा कड़ी निंदा की जा रही है।
पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने इस घटना को राज्य की कानून व्यवस्था की विफलता करार दिया। उन्होंने कहा कि यह घटना सत्ताधारी दल की साजिश हो सकती है और इसकी जांच हाईकोर्ट के सिटिंग जज से करवाई जानी चाहिए। उन्होंने घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के साथ इस प्रकार का कृत्य उस दिन हुआ, जब देश 76वां गणतंत्र दिवस मना रहा था।
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प्रताप सिंह बाजवा ने घटनास्थल का दौरा करने के बाद कहा कि यह घटना उस स्थान पर हुई है, जहां से श्री हरमंदिर साहिब कुछ ही दूरी पर है और वहीं पास में थाना भी मौजूद है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब घटना हो रही थी, तब पंजाब पुलिस कहां थी? उन्होंने इसे कानून व्यवस्था के पूर्ण विफलता का उदाहरण बताया।
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बीजेपी नेता तरुण चुघ ने इस घटना पर आम आदमी पार्टी (आप) सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि पंजाब में कानून व्यवस्था बद से बदतर हो चुकी है। उन्होंने कहा, “डॉ. भीमराव आंबेडकर की मूर्ति का अपमान करोड़ों भारतीयों का अपमान है। यह घटना पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के ताबूत की आखिरी कील साबित होगी।” उन्होंने दोषियों को कड़ी सजा देने की मांग की।
अमृतसर के सांसद गुरजीत सिंह औजला ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब आंबेडकर के कारण ही देश में सभी को समान अधिकार मिला है। उन्होंने कहा, “आज के दिन इस प्रकार की घटना पूरे देश के लिए शर्मनाक है। यह हर भारतीय के सम्मान पर हमला है।” उन्होंने राज्य सरकार से हस्तक्षेप कर दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की।
घटना के विरोध में वाल्मीकि संगठनों ने सोमवार को अमृतसर बंद की घोषणा की है। संगठनों का कहना है कि यह घटना न केवल बाबा साहेब का अपमान है, बल्कि उनके द्वारा बनाए गए संविधान पर भी हमला है।
इस घटना ने पंजाब में कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। घटना उस समय हुई, जब शहर में गणतंत्र दिवस के चलते हर कोने पर पुलिस बल तैनात था। इसके बावजूद अपराधियों ने हेरिटेज स्ट्रीट पर ऐसी शर्मनाक घटना को अंजाम दिया।
घटना के बाद राज्य सरकार पर विपक्ष और नागरिकों का दबाव बढ़ गया है। लोगों की मांग है कि इस घटना में शामिल दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
यह घटना केवल एक प्रतिमा या पत्थर की कृति का अपमान नहीं है, बल्कि यह संविधान, लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के खिलाफ एक साजिश है। इस घटना ने हर भारतीय को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि संविधान के निर्माता और उनके विचारों का सम्मान करना हम सभी का कर्तव्य है।
घटना की जांच का इंतजार करते हुए, समाज को एकजुट होकर कानून व्यवस्था को सुदृढ़ करने और संविधान की मर्यादा को बनाए रखने की दिशा में प्रयास करने होंगे।