Wednesday, July 24, 2024

औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.66 लाख करोड़ रुपये-सीतारमण

नयी दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को संसद में अंतरिम बजट 2024-25 पेश करते हुए कहा कि भारत में अत्यंत विभाजित अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था को एकीकृत करके व्यापार और उद्योग पर अनुपालन का बोझ वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) आने से कम हो गया है और औसत मासिक जीएसटी संग्रह 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया है।

वित्‍त मंत्री ने कहा, “एक अग्रणी परामर्शदाता कंपनी द्वारा हाल ही में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार 94 प्रतिशत शीर्ष उद्योगपति जीएसटी में हुए परिवर्तन को व्‍यापक स्‍तर पर सकारात्मक मानते हैं और सर्वेक्षण में प्रश्नों के उत्तर देने वाले 80 प्रतिशत प्रतिभागियों ने स्‍वीकार किया है कि इससे आपूर्ति श्रृंखला बेहतर हुई। जीएसटी का कर आधार बढ़कर दोगुना हुआ और इस वर्ष औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रह बढ़कर लगभग दोगुना यानी 1.66 लाख करोड़ रुपये हो गया।”

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राज्यों के राजस्‍व में वृद्धि का संकेत देते हुए वित्‍त मंत्री ने कहा कि राज्यों को जारी किए गए मुआवजे़ सहित राज्‍यों के एसजीएसटी राजस्व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा। जबकि वर्ष 2012-13 से 2015-16 की जीएसटी पूर्व के चार वर्षों में राजस्‍व टैक्स में उछाल केवल 0.72 था। वित्‍त मंत्री ने कहा कि जीएसटी से उपभोक्‍ता सर्वाधिक लाभान्वित हुए हैं, क्‍योंकि लॉजिस्टिक तंत्र और करों में कमी के कारण अधिकतर वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में कमी आई है।

नेशनल टाइम रिलीज स्‍टडीज़ का जिक्र करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि अंतर्राष्‍ट्रीय व्‍यापार को सुगम बनाने के लिए उठाये गए कदमों से वर्ष 2019 से अ‍ब तक के चार वर्षों के दौरान इनलैंड कंटेनर डिपो में आयात जारी करने की समयावधि 47 प्रतिशत कम होकर केवल 71 घंटे रह गई। एयर कार्गो परिसरों में 28 प्रतिशत कम होकर 44 घंटे और बंदरगाहों में 27 प्रतिशत कम होकर 85 घंटे रह गई।

वित्त मंत्री ने प्रत्यक्ष कर का उल्लेख करते हुये कहा कि पिछले एक दशक में प्रत्‍यक्ष कर संग्रह तीन गुना से भी अधिक बढ़ गया है और रिटर्न दाखिल करने वालों की संख्‍या बढ़कर 2.4 गुना हो गई है। रिटर्न की प्रोसेसिंग में लगने वाला औसत समय वर्ष 2013-14 के 93 दिनों से काफी घटकर अब केवल 10 दिन रह गया है।

वित्त मंत्री ने करदाताओं को आश्‍वस्‍त किया कि उनके कर योगदान का व्‍यापक उपयोग देश के विकास और देशवासियों के कल्‍याण के लिए किया गया है। उन्‍होंने करदाताओं के सहयोग के लिए उनकी प्रशंसा की।

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि नई कर व्‍यवस्‍था के तहत कर दरों को घटा दिया गया है और इसके साथ ही उन्‍हें तर्कसंगत बना दिया गया है। सात लाख रुपये तक की आय वाले करदाताओं पर अब कोई कर देनेदारी नहीं है, जो कि वित्त वर्ष 2013-14 में महज 2.2 लाख रुपये ही थी। खुदरा व्‍यवसाय के लिए अनुमानित कराधान की आरंभिक सीमा को दो करोड़ रुपये से बढ़ाकर तीन करोड़ रुपये कर दिया गया। इसी तरह अनुमानित कराधान के योग्‍य माने जाने वाले प्रोफेशनलों के लिए संबंधित आरंभिक सीमा को 50 लाख रुपये से बढ़ाकर 75 लाख रुपये कर दिया गया। इसके साथ ही मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्‍स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया और कुछ विशेष नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्‍स की दर को घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया।

वित्त मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार का फोकस करदाताओं को दी जाने वाली सेवाओं को बेहतर करने पर रहा है। उन्‍होंने कहा, “फेसलेस आकलन और अपील की शुरुआत करने के साथ ही अत्‍यंत पुरानी क्षेत्राधिकार आधारित आकलन प्रणाली अब पूरी तरह से बदल गई है जिससे इसमें दक्षता, पारदर्शिता एवं जवाबदेही काफी हद तक बढ़ गई है।”

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि अद्यतन आयकर रिटर्न, एक नए फॉर्म 26एएस और पहले से ही भरे टैक्‍स रिटर्न की शुरुआत करने से टैक्‍स रिटर्न भरना अब और भी ज्‍यादा सरल एवं आसान हो गया है जिसके परिणामस्‍वरूप रिटर्न की प्रोसेसिंग में लगने वाला औसत समय वर्ष 2013-14 के 93 दिनों से काफी घटकर इस वर्ष महज 10 दिन रह गया है जिससे रिफंड अब और भी तेजी से करना संभव हो गया है।

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