मेरठ। मेरठ में नौकरी के नाम पर ठगी का मामला सामने आया है। बीटेक के छात्र ने नगर निगम में सरकारी नौकरी पाने के लिए घर बेचकर ढाई लाख रुपये का इंतजाम किया लेकिन जब नियुक्ति पत्र मिला तो उसके पांव तले जमीन खिसक गई।
मेरठ में बीटेक के छात्र शहजाद ने नगर निगम में सरकारी नौकरी पाने के लिए घर बेचकर 2.50 लाख रुपये का इंतजाम किया। यह रकम दी। इसके बाद भी उसे कंप्यूटर ऑपरेटर पद पर नियुक्ति का फर्जी पत्र थमा दिया गया। नौकरी के नाम पर ठगी का एहसास होने पर उसकी भाभी अमरीन ने सोमवार को अधिकारियों के सामने यह खुलासा किया। अपर आयुक्त ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
नगर निगम में अपर नगर आयुक्त प्रमोद कुमार के पास अमरीन नाम की महिला अपने एक रिश्तेदार के साथ पहुंची। अमरीन ने बताया कि उसके देवर शहजाद से गृहकर विभाग के एक कर्मचारी, महिला सहित तीन लोगों ने ढाई लाख रुपये लिए थे। उसे निगम में नियुक्ति का पत्र दिया गया। लेकिन अब तक तैनाती नहीं हुई। नियुक्ति पत्र देखकर निगम के अधिकारी बोले, यह फर्जी नियुक्ति पत्र है।
महिला का कहना कि करीब छह माह पहले नगर निगम में भर्ती निकलने की सूचना पर निगम के कर्मचारी से संपर्क हुआ था। उस समय पांच लाख रुपये में सरकारी नौकरी दिलाने का दावा किया गया। इसमें से देवर शहजाद ने घर बेचकर 2.50 लाख रुपये इस कर्मचारी सहित दो अन्य लोगों को दिए। मगर अब तक नौकरी नहीं मिली।
अमरीन ने दावा किया कि उनके पास रिश्वत देने का वीडियो है। वह पहले सरकारी कर्मचारी से मिलेगी और फिर उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराएगी। यह बात कहकर महिला चली गई। उसके आरोप के बाद निगम के कर्मचारियों में खलबली मची हुई है।