नयी दिल्ली- उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में हिंसा और दंगों में कथित रूप से शामिल आरोपियों के खिलाफ ‘बुलडोजर’ चलाने की प्रस्तावित कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई की जायेगी।
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सी यू सिंह और अन्य वकीलों की शीघ्र सुनवाई करने की गुहार स्वीकार करते हुए इस मामले को 23 अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया।
पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख करते हुए अधिवक्ताओं ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार कथित रूप से दंगों में शामिल लोगों के खिलाफ तोड़-फोड़ की कार्रवाई इस आधार पर करना चाहती है कि उनका निर्माण अवैध है।
इस पर पीठ ने कहा, “आप इस अदालत द्वारा पारित आदेशों से अवगत हैं। यदि वे (राज्य सरकार) इन आदेशों का उल्लंघन करने का जोखिम उठाना चाहते हैं, तो यह उनकी पसंद है।”
पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम नटराज से कहा कि उसे बुधवार तक कोई कार्रवाई नहीं करनी चाहिए।इस पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने सहमति जताते हुए कहा, “हम कुछ नहीं करेंगे।”
उत्तर प्रदेश लोक निर्माण विभाग (लोनिवि) ने बहराइच जिले के एक गांव में धार्मिक जुलूस के दौरान संगीत बजाने को लेकर कथित रूप से सांप्रदायिक हिंसा में शामिल तीन लोगों की अचल संपत्ति के ध्वस्तीकरण के लिए नोटिस जारी किया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक अक्टूबर को अपने 17 सितंबर के आदेश को बढ़ा दिया था कि इस न्यायालय की अनुमति के बिना किसी आपराधिक मामले में शामिल अभियुक्त की संपत्ति को ध्वस्त करने के लिए राज्यों द्वारा बुलडोजर का उपयोग नहीं किया जाएगा
शीर्ष अदालत ने हालांकि,तब सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण से जुड़ी कार्रवाई को छूट दी थी।शीर्ष अदालत ने तब बुलडोजर कार्रवाई के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करने पर अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
सर्वोच्च न्यायालय ने एक अक्टूबर को कहा था कि वह “बुलडोजर न्याय” के विवादास्पद मुद्दे से निपटने के लिए अखिल भारतीय स्तर पर दिशा-निर्देश तैयार करेगा, जिसका उपयोग कुछ राज्य सरकारें किसी व्यक्ति पर अपराध का आरोप लगने के तुरंत बाद उसके घर या दुकान को ध्वस्त करने के लिए करती हैं।