Friday, November 22, 2024

सावधानी बरतें कच्ची उम्र के प्यार में

प्यार का खुमार आजकल के युवाओं पर इस तरह छाया हुआ है कि जैसे और कोई दूसरा काम शेष न रहा हो। किसी को फिल्मी गानों पर खोए हुए देखा जा सकता है तो किसी को इस उम्र में शायरी करने का रोग लग जाता है। प्यार अक्सर किशोरावस्था में लगने वाला वह रोग है जिसका इलाज न तो पहले ही किसी के पास था, न ही आज किसी के पास है।

प्यार का उफान इस उम्र में इस कदर होता है कि कब किस पर दिल आ जाये, कुछ नहीं कहा जा सकता। पहली नजर में कौन भा जाए, क्या पता? पर क्या एक बार में ही किसी को देखते ही दिल दे बैठना लाजमी है? लैला-मजनूं, रोमियो-जूलियट जैसे प्रेमियों के किस्से पुराने हो गये हैं। वे भले ही प्रेमियों के लिए आदर्श माने जाते हों लेकिन आजकल के प्रेमियों में प्रेम का उफान कुछ और ही रंग लिए होता है।

यह सच है कि किशोरावस्था में युवक-युवतियां अक्सर प्यार के चक्कर में पड़ जाते हैं चूंकि वे इस समय शारीरिक परिवर्तनों से होकर गुजरते हैं। ऐसे में विपरीत सेक्स के प्रति आकर्षण एक साधारण सी बात है।

युवक-युवतियों में आपसी मित्रता के लक्षण इस उम्र में अधिक होते हैं। एक-दूसरे के प्रति उनका आकर्षण शारीरिक ही नहीं बल्कि मानसिक एवं भावनात्मक भी होता है किन्तु यह सब उनमें हो रहे तीव्र विकास के कारण होता है जो उन्हें यह समझने नहीं देता कि यह आकर्षण महज कुछ समय के लिए है। कुछ समय बाद यह स्वयं ही खत्म हो जाएगा।

लड़के-लड़कियों के बीच मित्रता अब एक साधारण सी बात हो गई है। बड़े शहरों में तो हर कोई ज्यादा से ज्यादा ब्वायफ्रैंड और गर्लफ्रैंड रखने की कोशिश करता है। जिसका कोई ब्वायफ्रैंड या गर्लफ्रैंड न हो, उसका परिहास तक किया जाता है लेकिन मित्रता के भी कुछ मापदंड होते हैं। अपनी सीमाएं होती हैं। उस सीमा में ही रहना चाहिए। यह न हो कि अपने दोस्तों के साथ युवतियां होटलों और क्लबों में घूमें, शराब-सिगरेट पिएं, उनके साथ शारीरिक सम्बन्ध बनायें। यह मित्रता की सीमाओं का उल्लंघन है। यह कोई प्यार-व्यार नहीं है।

कोई आप से ‘आई लव यू’ कह देता है तो इसका मतलब यह नहीं कि वह आपसे सच्चा प्यार करता है। आजकल का प्यार सिर्फ शारीरिक आकर्षण के कारण उपजता है और कुछ समय बाद खत्म हो जाता है। सच्चा प्यार मन से होता है और भावनाओं से जुड़ा होता है। उसमें लड़ाई-झगड़े भी होते हैं जो बिना किसी जद्दोजहद के आसानी से सुलझ भी जाते हैं।

अक्सर युवाओं को पहली नजर में ही दिल दे बैठने की बीमारी होती है। भला ऐसा कौन हो सकता है कि जो पहली बार जैसा लगा, वैसा हमेशा लगे। स्वयं पर उसे परखकर  देखा जा सकता है। कभी हम किसी तरह व्यवहार करते हैं तो कभी किसी तरह। फिर भला दूसरा हमेशा उसी एक रूप में कैसे रह सकता है, इसलिए पहली नजर में ही कोई निर्णय न लें बल्कि उसे जांचे-परखें कि क्या वह आपका साथी बनने के लायक है?

क्या उससे हमेशा आपकी बन सकेगी लेकिन अक्सर युवा आवेश में आकर उस समय तो जीवन भर साथ देने का निर्णय ले लेते हैं लेकिन बाद में वह उनकी कसौटी पर खरा नहीं उतरता। फिर बस वह किशोरावस्था का प्यार छू मंतर की तरह गायब होता दिखाई देता है। इसलिए किशोरावस्था का यह प्रेम सिर्फ शारीरिक आकर्षण ही माना जाता है। वह उम्र जो करियर बनाने की होती है, उसमें प्राय: युवा प्यार के चक्कर में फंस जाते हैं और उम्र बीतने पर उनकी यह खुमारी उतर जाती है लेकिन तब तक वे काफी कुछ खो चुके होते हैं।

कच्ची उम्र के प्यार में वे एक-दूसरे के साथ जीने-मरने की कसमें खाते हैं, प्यार निभाने की कसम खाते हैं लेकिन अन्तत: होता कुछ और ही है। दरअसल लड़के लड़कियों की सुन्दरता से अधिक प्रभावित होते हैं। उन्हें कॉलेज की खूबसूरत लड़की ही भाती हैं।

लड़कियां भी पैसेवाले, आकर्षक और सुन्दर लड़कों को पसंद करती हैं। वे चाहती हैं कि उनका ब्वायफ्रैंड उन पर खूब पैसा खर्च करे, दिखने में आकर्षक भी हो लेकिन क्या यह काफी है? आजकल की युवतियों के सपनों का राजकुमार ऐसा ही है। ऐसा लड़का दिखते ही उनका सपना सच हो जाता है।

ऐसा नहीं है कि ये खूबियां गलत हैं लेकिन किसी के गुण-अवगुण के कारण किसी को अपनाया या छोड़ा नहीं जा सकता। दुनिया में कोई भी व्यक्ति कभी भी संपूर्ण नहीं होता। इसलिए एक पूर्ण व्यक्ति की चाह में भी पूरा जीवन नहीं गुजारा जा सकता। यदि किसी से प्यार है तो उसकी कमियों को भी अपनाएं। उसमें सुधार लाएं। यही सच्चा प्यार होगा। यह नहीं कि आज उसका कोई एक गुण देखकर उससे प्यार करें और कल उसमें कोई कमी देखकर उसका तिरस्कार करें।

आजकल फिल्में और विभिन्न चैनलों के कार्यक्रम देखकर बच्चे बिगड़ जाते हैं। युवक-युवतियां शादीशुदा औरत या मर्द के साथ प्यार कर बैठते हैं। कई बार देखा जाता है कि विवाहित व्यक्ति युवती को शादी का झांसा देकर फंसा लेते हैं। युवती भी उनके बहकावे में आ जाती है। यह कोई प्यार नहीं बल्कि जानबूझकर की जाने वाली गलती है जिसके जिम्मेदार दोनों ही माने जाते हैं। यह नहीं होना चाहिए कि जो मन को भा जाए, उसे ही प्यार करने लगें।

अपनी सारी मर्यादाओं को ध्यान में अवश्य रखें। अपना और अपने परिवार का भविष्य दांव पर न लगायें। लड़कियों को कभी भी अपने युवक दोस्त पर पूर्ण विश्वास नहीं करना चाहिए अन्यथा वे धोखा खाकर कैसे जी पायेंगी। युवक-युवतियों में मित्रता कोई गलत बात नहीं है लेकिन उस मित्रता की मर्यादाओं का उल्लंघन न करें।

यह याद रखें कि यही उम्र करियर बनाने की भी है। यह समय दोबारा नहीं मिलेगा। प्यार के लिए तो बाद में समय ही समय होगा मगर करियर चौपट होने के बाद कुछ भी नहीं मिलेगा। करियर बना लेने के बाद जब प्यार किया जायेगा तो उसमें परिपक्वता भी होगी और समझदारी भी। आवेश में आकर इस उम्र में बहकने से बचें।
– शिखा चौधरी

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