अवसाद अर्थात डिप्रेशन का शिकार बच्चा, बड़ा कोई भी हो सकता है। घर-परिवार से एवं बाहर मित्रा वर्ग से, स्कूल या कार्यस्थल से किसी कारण से उपेक्षित किए जाने पर व्यक्ति अवसादग्रस्त होता है। यह अवसाद जीवन की सारी खुशियों को चौपट कर देता है। कुछ करने की ललक एवं उत्साह को ठंडा कर देता है। निराशा घर कर लेती है।
यदि ऐसा लगे तो उसे दूर करने के लिए सावधान हो जाएं। अवसादग्रस्त व्यक्ति अपनी अन्य रूचियों में व्यस्त हो जाए। रूचि के अनुसार खेल खेलें। किताबें व पत्रिकाएं पढ़ें। धीमी गति में संगीत सुनें। बच्चों से घुल-मिल जाएं। पालतू जीवों पशु-पक्षी, मछली, बिल्ली, खरगोश, कुत्ता किसी की गतिविधियों को ध्यान से देखें। बस स्टैण्ड, स्टेशन या किसी भीड़ भरे स्थान में किनारे रह उस पर गौर करें। अवसाद कुछ समय के भीतर उडऩ छू हो जाएगा। व्यक्ति चुनौतियों से लडऩे की नव ऊर्जा पाएगा।
लिवर रोगों को दूर करे हल्दी
हल्दी की गांठ एवं हल्दी पाउडर से सभी परिचित हैं। यह पाउडर के रूप में रसोईघर में अवश्य मिल जाती है। दाल व साग-सब्जियों में इसका प्रयोग किया जाता है। यह अचार में भी डाली जाती है। उसके बिना विवाह विधि पूरी नहीं होती। यह उबटन एवं क्रीम में भी काम आती है। यह एंटीबायोटिक का काम करती है।
इस की गीली पट्टी दर्द व सूजन दूर करती है। गर्म दूध में हल्दी मिलाकर पीने से सर्दी, खांसी, बुखार में आराम मिलता है। सोने से पूर्व इसे पीने से गहरी नींद आती है।
हाल ही हुए शोध में इसके अन्य लाभ सामने आये है। लिवर के रोगों को दूर करने का भी यह काम करती है। आयुर्वेद ने इस बात को बहुत पूर्व ही बता दिया था। चिकित्सा वैज्ञानिकों ने भी अब इसकी पुष्टि कर दी है। लिवर के किसी भी प्रकार के रोगी यदि सवेरे खाली पेट एक चम्मच हल्दी पाउडर फांक खा लें और ऊपर से पानी पी लें या दूध के साथ लें तो लाभ अवश्य मिलेगा।
मसाज से मिले चुस्ती-फुर्ती
व्यस्त व भागदौड़ भरी जिंदगी में थक जाना व थकावट आम बात है। ऐसी स्थिति में मसाज अर्थात मालिश लाभ पहुंचाती है एवं थकावट दूर कर शरीर में चुस्ती फुर्ती भर देती है। इस मसाज से सभी भारतीय बाल्यकाल से परिचित होते हैं। शैशवकाल से उसकी मसाज की शुरूआत हो जाती है। यह मसाज तब शरीर की मजबूती एवं विकास में मददगार होती है। इससे उसकी हड्डियां एवं मांसपेशियां मजबूत हो जाती हैं।
इसका लाभ जीवनपर्यंत पाया जा सकता है। सभी व्यक्ति अपने शरीर की मसाज स्वयं कर सकते हैं। हमें अपने हाथ पैर की मालिश खुद करनी चाहिए। इससे जकडऩ दूर होती है। मसाज से विषाक्त तत्व शरीर से बाहर निकल जाते हैं। लिवर समेत समस्त शरीरांग की सक्रियता बढ़ती है। शरीर व मस्तिष्क दोनों को फायदा मिलता है। इससे दर्द दूर होता है व रक्तप्रवाह सुचारू रूप से होता है।
स्तन की सभी गांठें कैंसर नहीं होतीं
शरीर के विभिन्न भागों में होने वाला कैंसर समय पर उपचार नहीं कराने की स्थिति में जानलेवा सिद्ध हो सकता है। महिलाओं को गर्भाशय एवं स्तन में कैंसर अधिक होता है। पुरूषों को भी स्तन कैंसर हो सकता है।
पुरूष हो या स्त्राी स्तन में गांठें मिलने पर या दिखने पर समुचित जांच एवं उपचार करा लेना उचित होता है। गांठों के हम दिखने पर भी भयभीत कदापि न हो क्योंकि प्रथम स्टेज में पता चल जाने पर इसका उचित इलाज हो जाता है।
भयभीत इसलिए भी न हों क्योंकि स्तन की हर गांठ कैंसर नहीं होती है। चिकित्सक के मार्गदर्शन में सोनोग्राफी, मेमोग्राफी तथा बायोप्सी जांच करा लेनी चाहिए। यही जांच व निष्कर्ष देख गांठ की स्थिति के बारे में चिकित्सक यथोचित निर्णय लेते हैं। स्तन में गांठ दिखने पर देरी किए बिना एलर्ट हो चिकित्सक से मिल लेना चाहिए।
पौष्टिक हो सुबह का नाश्ता
रात के भोजन एवं सुबह के नाश्ते के बीच का अंतर 1 से 12 घंटे तक हो जाता है। हमारा शरीर निद्रावस्था में भी ऊर्जा को खर्च करता है। अतएव इस दीर्घ अंतराल के कारण शरीर को पौष्टिक व तगड़े नाश्ते की जरूरत होती है। इस वक्त वसायुक्त जलपान या दही परांठा भी खाया जा सकता है। इससे शरीर को जरूरत लायक ऊर्जा मिल जाएगी।
पौष्टिक नाश्ता करने वाला व्यक्ति भोजन के समय ठूंस-ठूंस कर खाने एवं मोटापे का शिकार होने से बच जाता है। पौष्टिक नाश्ते के अभाव में व्यक्ति भोजन के समय बहुत ज्यादा भोजन करता है और मोटा हो जाता है। अतएव मोटापे से बचने एवं शरीर का ख्याल रखते हुए सुबह पौष्टिक नाश्ता कीजिए।