Monday, November 25, 2024

हम अपने आपसे परिचय नहीं कर पाते !

हम दूसरों से उनका परिचय पूछते हैं, परन्तु हम अपने आपसे परिचय नहीं कर पाते। यह है ना आश्चर्य की बात। वह व्यक्ति कभी सुखी नहीं हो सकता, जो यह नहीं जानता कि वह चाहता क्या है।

हमें क्या चाहिए, इसका पता तब तक नहीं चल सकेगा। जब तक हम यह न जाने कि हम कौन है। हम यदि यह शरीर है तो किस्सा ही समाप्त हो गया, परन्तु हम इस शरीर के अतिरिक्त भी कुछ हैं तो हमें उसे जानना चाहिए।

सच्चाई यही है कि हम जो हैं इस शरीर के अतिरिक्त ही हैं। उसे जान लेंगे तो उसकी मंजिल को उसके लक्ष्य को पाने का प्रयास भी करेंगे। शरीर तो पैदा होता है, बचपन के बाद युवा होता है, वृद्ध होता है फिर मृत्यु को प्राप्त हो जाता है, परन्तु इसके भीतर बैठा इसका स्वामी न पैदा होता है न वृद्ध होता है न ही मरता है।

उसे जानना होगा। उसके जानने से ही हम सब दुखों से मुक्त हो सकते हैं। हम शरीर नहीं आत्मा है, उसे जानने से ही हम अमरत्व को प्राप्त कर सकेंगे। अत: साक्षी भाव से निरन्तर अपनी आत्मा को शरीर से पृथक अनुभव करने का अभ्यास करना चाहिए।

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