आगरा। बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के कार्यकर्ताओं द्वारा सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी आरक्षण में क्रीमी लेयर लागू करने के फैसले के विरोध में विरोध प्रदर्शन किया गया। दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए बंद के समर्थन में, बीएसपी कार्यकर्ताओं ने सड़क पर उतर कर दुकानों को जबरदस्ती बंद करवाया और कलेक्ट्रेट के दफ्तर के गेट पर पार्टी का झंडा लहराया। इसके साथ ही, हाइवे जाम करके लोगों के साथ बदसलूकी करने की भी खबरें आई हैं।
इस प्रकार की घटनाएँ तनाव और असुरक्षा की भावना पैदा कर सकती हैं। हालांकि, लोकतांत्रिक समाज में विरोध प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन इसे शांति और कानून का पालन करते हुए किया जाना चाहिए।
यह घटना भारत बंद के दौरान हुई, जिसमें बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के कार्यकर्ताओं ने बाजारों में जाकर दुकानदारों को मजबूर किया कि वे अपनी दुकानें बंद कर दें। हालांकि, अधिकांश बाजार सामान्य रूप से खुले थे, लेकिन बसपा कार्यकर्ताओं ने कुछ दुकानदारों को दबाव डालकर दुकानें बंद करवाईं। इसके अलावा, उन्होंने नारेबाजी करते हुए कलेक्ट्रेट के गेट पर पार्टी का झंडा भी फहराया।
इस तरह की घटनाएँ तनाव और अव्यवस्था पैदा कर सकती हैं, और इस मुद्दे पर विभिन्न पक्षों की प्रतिक्रियाएं भिन्न हो सकती हैं। यह संभव है कि दुकानदारों और अन्य नागरिकों के बीच इस प्रकार की गतिविधियों को लेकर असंतोष हो।
इस दौरान हाईवे जाम कर रहे बसपा कार्यकर्ताओं द्वारा गाड़ियों एवं अन्य संसाधनों से जा रहे लोगों के साथ बदसलूकी भी की गई है। जबकि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने प्रदर्शनकारियों से संयमित रहकर भारत बंद में शामिल होने का आह्वान किया है।