मुजफ्फरनगर। किसान मंच के राष्ट्रीय प्रवक्ता भोपाल सिंह चौधरी ने दिल्ली किसान आंदोलन को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के बड़े नेताओं, जिनमें राकेश टिकैत भी शामिल थे, ने एमएसपी पर गारंटी कानून की मांग को सही तरीके से नहीं उठाया। उनके अनुसार, आंदोलन के दौरान किसान नेताओं में आपसी फूट पड़ गई थी, जिसके कारण किसानों के हक में मजबूत निर्णय नहीं लिया जा सका।
भोपाल सिंह चौधरी ने बताया कि जब सरकार ने किसान नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया था, तब उसने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने से इनकार कर दिया था, लेकिन एमएसपी पर चर्चा के लिए तैयार थी। मगर किसान नेता इस मुद्दे पर ठोस निर्णय नहीं ले सके, जिससे आंदोलन कमजोर हो गया। उन्होंने कहा कि अगर उस समय किसान नेताओं ने एकजुटता दिखाई होती, तो एमएसपी पर गारंटी कानून बनवाकर ही आंदोलन खत्म किया जाता।
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भोपाल सिंह चौधरी ने किया दावा
उन्होंने कहा कि राकेश टिकैत समेत बड़े नेता बैठक में चुप रहे, एमएसपी पर गारंटी कानून की बात नहीं उठाई, संयुक्त किसान मोर्चा में आपसी फूट के कारण आंदोलन कमजोर पड़ा, तीन कृषि कानून सरकार ने राजनीतिक दबाव में वापस लिए, जबकि असली मुद्दा एमएसपी था, सरकार ने वार्ता के दौरान कहा था कि एमएसपी पर चर्चा संभव है, लेकिन किसान नेताओं ने इसका फायदा नहीं उठाया, पंजाब में हो रहा मौजूदा किसान आंदोलन राजनीतिक प्रेरित, आम आदमी पार्टी इसे नियंत्रित कर रही है, भोपाल सिंह चौधरी ने यह भी कहा कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह गलत नहीं थे, लेकिन किसानों को एमएसपी पर गारंटी कानून की जरूरत थी, जो अब भी लंबित है। उन्होंने पंजाब में हो रहे किसान आंदोलन को राजनीतिक करार देते हुए कहा कि अगर यह आंदोलन सच्चे किसान हितों के लिए होता, तो इसमें पूरे देश के किसान शामिल होते।