नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सत्येन्द्र जैन को सुप्रीम कोर्ट से मिली अंतरिम राहत बरकरार रहेगी। सुप्रीम कोर्ट ने सत्येंद्र जैन की अंतरिम जमानत की अवधि 12 सितंबर के लिए बढ़ा दी है। मामले की सुनवाई करने वाली बेंच के सदस्य जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा ने सुनवाई से अपने आपको अलग कर लिया है। जस्टिस प्रशांत मिश्रा के बेटे ईडी के वकील के रूप में पेश हो चुके हैं। अब दूसरी बेंच सुनवाई करेगी। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
सुनवाई के दौरान 25 अगस्त को सत्येंद्र जैन की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि जैन की स्पाइनल सर्जरी हुई है और उन्हें आराम की जरूरत है। सिंघवी ने जैन की अंतरिम जमानत बढ़ाने की मांग की। सिंघवी की दलील का ईडी ने विरोध करते हुए कहा था कि जैन को सरेंडर करने का आदेश दिया जाना चाहिए। उनकी अंतरिम जमानत एक दिन भी नहीं बढ़ाई जानी चाहिए। जैन को आम कैदी की तरह समझा जाना चाहिए।
कोर्ट ने 24 जुलाई को जैन को मिली अंतरिम जमानत एक महीने के लिए बढ़ा दी थी। 10 जुलाई को कोर्ट ने 24 जुलाई तक की अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश दिया था। इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई को सत्येंद्र जैन को छह हफ्ते की अंतरिम जमानत दी थी। कोर्ट ने सत्येंद्र जैन को अपनी इच्छा के मुताबिक निजी अस्पताल में इलाज कराने की अनुमति दी थी।
सुनवाई से पहले ईडी ने जवाब दाखिल कर कहा कि सत्येंद्र जैन अपने प्रभाव के चलते बीमारी के बारे में गलत रिपोर्ट हासिल करते रहे हैं। ईडी ने कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट ने लोकनायक जयप्रकाश हॉस्पिटल की रिपोर्ट ठुकरा दी थी। ईडी ने कहा कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जमानत तभी मिलती है, जब बीमारी से जान का खतरा हो।
सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए ईडी को नोटिस जारी किया था। जैन की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने जैन के खराब स्वास्थ्य का हवाला देते हुए कहा था कि जेल में जैन का वजन 35 किलोग्राम कम हो गया है। दिल्ली हाई कोर्ट ने 6 अप्रैल को सत्येंद्र जैन की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने कहा था कि सत्येंद्र जैन प्रभावशाली व्यक्ति हैं और वे गवाहों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं। ईडी ने सत्येंद्र जैन को 30 मई 2022 में गिरफ्तार किया था।