वेदों में ईश्वरीय आज्ञा है ”पुरूषार्थी बनो, धार्मिक बनो, सदाचारी बनो, परोपकारी बनो, स्वार्थी मत बनो, केवल अपने ही सुख के लिए मत सोचो, बल्कि दूसरों के सुख के लिए भी सोचो और जो सम्भव हो दूसरों का उपकार भी करो। दूसरों के लिए कुछ हितकारी करोगे, दूसरों को सुख दोगे तो मैं तुम्हें सुख दूंगा, मेरा आर्शीवाद आपके लिए सदैव बना रहेगा”।
संसार में कुछ लोग आलसी होते हैं और कुछ पुरूषार्थी। जो पुरूषार्थी होते हैं वे ईश्वर की आज्ञा का पालन करते हैं। ऐसे लोगों को समाज के धार्मिक, बुद्धिमान तथा वरिष्ठ लोग बहुत आशीर्वाद देते हैं। पुरूषार्थी और परोपकारी व्यक्तियों पर सुखों की वर्षा होती है।
आपको भी आर्शीवाद कामना अवश्य होगी, आपकी भी इच्छा होगी कि हम पर भी परमात्मा की ओर से सुखों की वर्षा हो तो आप भी दया, नम्रता, सेवा दान, परोपकार आदि ईश्वरीय गुणों को अपने जीवन में धारण करे। सदैव ही सर्वे भवन्तु सुखिन सर्वे सन्तु निरामया अर्थात स सुखी हों, सब निरोग हो, किसी को भी किसी प्रकार का दुख न हो, इस भावना से कर्म करते रहे। प्रभु आपको भी सुख और निरोगता प्रदान करेगा।