मेरठ। मेरठ में सपा विधायक रफीक अंसारी के खिलाफ मुकदमे छिपाने के आरोपों के मामले में सीओ सिविल लाइन ने डीएम ऑफिस से शपथ पत्र की प्रति मांगी है। प्रति मिलने के बाद विधायक पर मुकदमों की जानकारी छिपाने के मामले में जांच आगे बढ़ेगी।
रफीक अंसारी की जमानत को लेकर उनके अधिवक्ता ने सेशन न्यायालय में जमानत प्रार्थना पत्र दाखिल किया है। जिला जज रजत सिंह जैन ने प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के लिए एक जून की तिथि नियत की है। 1992 में हापुड़ रोड पर मीट की दुकानों को लेकर अंसारी और कुरैशी बिरादरी के लोग आमने-सामने आ गए थे।
भीड़ ने तोड़फोड़ करते हुए आगजनी कर दी थी। इस मामले में लिसाड़ी गेट और नौचंदी थाने में आईपीसी की धारा 147, 427 और 436 के अंतर्गत दो मुकदमे दर्ज किए गए थे। विवेचना में पुलिस ने मौजूदा पार्षद रफीक अंसारी और हाजी बुंदू को भी आरोपी बनाया था। पुलिस ने सन 1995 में 22 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किया।
रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए थे, जिसके चलते सन 1997 में उनके गैरजमानती वारंट जारी हुए। इसके बाद उनके 101 गैरजमानती वारंट जारी हुए। सीआरपीसी की धारा 82 के अंतर्गत कुर्की प्रक्रिया के बावजूद भी रफीक अंसारी कोर्ट में पेश नहीं हुए। रफीक इसके खिलाफ हाईकोर्ट गए लेकिन वहां से राहत नहीं मिली।
बताया गया कि हाईकोर्ट ने डीजीपी को रफीक अंसारी को गिरफ्तार कराकर कोर्ट में पेश कराने के आदेश दिए थे। नौचंदी पुलिस की टीम ने 27 मई को रफीक अंसारी को बाराबंकी से गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया था। जहां से विधायक को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया था।