नयी दिल्ली- आम आदमी पार्टी (आप) की पार्षद शैली ओबेरॉय दिल्ली नगर निगम की महापौर और आप के ही पार्षद आले मोहम्मद इकबाल उप-महापौर चुने गये हैं।
सुश्री ओबेरॉय को 150 वोट मिले जबकि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की उम्मीदवार रेखा गुप्ता को 116 वोट मिले।
महापौर के चुनाव के बाद उप-महापौर के हुए चुनाव में आप के श्री इकबाल निर्वाचित घोषित किये गये। उन्हें 147 मत मिले जबकि भाजपा के श्री कमल बागड़ी को 116 वोट मिले।
महापौर और उप-महापौर के चुनाव के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ट्वीट करके कहा,“ गुंडे हार गए, जनता जीत गई। दिल्ली नगर निगम में आज दिल्ली की जनता की जीत हुई और गुंडागर्दी की हार। सुश्री ओबेरॉय के महापौर चुने जाने पर दिल्ली की जनता को बधाई।”
उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने सुश्री ओबेरॉय को जीत की बधाई देते हुए कहा,“ गुंडे हार गये, जनता जीत गयी। दिल्ली नगर निगम में आम आदमी पार्टी का महापौर बनने पर सभी कार्यकर्ताओं को बहुत बधाई और दिल्ली की जनता का तहे दिल से एक बार फिर से आभार। आप की पहली महापौर शैली ओबेरॉय को भी बहुत-बहुत बधाई। ”
जीत के बाद, सुश्री ओबेरॉय ने कहा, “ हम मुख्यमंत्री केजरीवाल की जनता को दी गयी, ‘10 गारंटी’ पर काम करेंगे।”
ग़ौरतलब है कि इससे पहले महापौर चुनाव तीन बार हंगामे की भेंट चढ़ चुका है। दिल्ली नगर निगम चुनाव के बाद महापौर और उप-महापौर के चुनाव के लिए सदन की पहली बैठक छह जनवरी को, दूसरी बैठक 24 जनवरी और तीसरी बैठक छह फ़रवरी को हुई थी।
दिल्ली नगर निगम के महापौर पद पर आखिरी बार 2011 में महिला महापौर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की रजनी अब्बी चुनी गयीं थी। उसके बाद नगर निगम को तीन हिस्सों में विभाजित कर दिया गया था। दिल्ली नगर निगम के 2022 में एकीकरण के बाद, यह निगम का पहला चुनाव था। इससे पहले, महापौर पद की चुनाव प्रक्रिया को लेकर आप भाजपा के सदस्यों के बीच विवाद और हंगामे के कारण तीन बार टल चुका था।
चार दिसंबर को हुए दिल्ली नगर निगम के चुनाव में भाजपा को 15 साल बाद हार का सामना करना पड़ा। इस चुनाव में आप को 134 सीटों पर जीत मिली और 104 सीट पर जीत के साथ भाजपा दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस को नौ सीटें मिलीं तथा तीन सीटें अन्य दलों के पास थीं। इस चुनाव में भाजपा को 39.09 प्रतिशत और आप को 42.05 प्रतिशत वोट मिले थे।
उच्चतम न्यायालय ने 17 फरवरी को महापौर पद के चुनाव के मुद्दे पर सुनवाई के बाद, 24 घंटे के अंदर महापौर के चुनाव का नोटिस जारी करने के लिए कहा था और व्यवस्था दी थी, नामजद सदस्यों को वोट का अधिकार नहीं होगा। उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा था कि महापौर के चुनाव के बाद ही ‘उप-महापौर’ का चुनाव कराया जा सकता है।