नई दिल्ली- जम्मू कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने अपने बयान से एक बार फिर सनसनी फैला दी है। सत्यपाल मलिक ने भारतीय जनता पार्टी पर आरोप लगाया है कि वह 2024 का चुनाव जीतने के लिए निर्माणाधीन राम मंदिर पर बम फिंकवा सकती है या किसी बीजेपी के बड़े नेता की हत्या की साजिश रच सकती है। भारतीय जनता पार्टी ने सत्यपाल मलिक के बयान पर तंज कसा है कि उन्हें राजनेता नहीं ओटीटी लेखक होना चाहिए।
आपको बता दें कि भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे सत्यपाल मलिक जम्मू-कश्मीर, बिहार,गोवा और मेघालय के राज्यपाल रहे हैं। राज्यपाल पद से हटने के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सनसनीखेज बयान दिया था कि पुलवामा का हमला एक षड्यंत्र था जिसका भारतीय जनता पार्टी ने जानबूझकर राजनीतिक इस्तेमाल किया था। मलिक के इस बयान ने हंगामा मचा दिया था।
नई दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में आयोजित “राष्ट्रीय सुरक्षा मामलों” पर एक सम्मेलन में बोलते हुए सत्यपाल मलिक ने फिर सनसनीखेज बयान दे दिया है। उन्होंने कहा कि उन्हें डर है कि बीजेपी अगले साल आम चुनाव जीतने के लिए “किसी भी हद तक जा सकती है”, उन्होंने आरोप लगाया कि अयोध्या में राम मंदिर पर हमला या “पाकिस्तान के साथ सुनियोजित संघर्ष” से इनकार नहीं किया जा सकता है।
सम्मेलन में पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा, 2024 के चुनावों से पहले, राष्ट्र को सतर्क रहना चाहिए क्योंकि राम मंदिर, काशी और मथुरा के मंदिरों को नष्ट करने की धमकियां मिल रही हैं, साथ ही मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पाकिस्तान के साथ फिक्स युद्ध हो सकता है।
इस कार्यक्रम में मलिक ने कहा, “मेरे मन में बहुत सारी आशंकाएं हैं. वे (2024 आम) चुनाव से पहले कुछ न कुछ ज़रूर करेंगे. यह उनका स्वभाव है. उन्होंने गुजरात और देश में ऐसा किया है. ये राम मंदिर पर गोला फेंक सकते हैं, बीजेपी के किसी बड़े नेता का कत्ल करा सकते हैं. पाकिस्तान के साथ एक सुनियोजित संघर्ष भी हो सकता है।
कार्यक्रम में मलिक ने उन आरोपों को दोहराते हुए कहा कि “पुलवामा हमले में मारे गए जवानों की शहादत का इस्तेमाल पीएम ने 2019 के चुनावों के दौरान वोटों के लिए किया था” और चुनाव “हमारे सैनिकों के शवों पर हुए थे”. मलिक ने 14 जनवरी 2019 को हुए हमले के लिए किसी को जिम्मेदार न ठहराने पर भी सरकार से सवाल किया.
उन्होंने आरोप लगायास “जब पीएम ने शाम 5 बजे (हमले के दिन) फोन किया और पूछा कि क्या हुआ, तो मैंने उन्हें बताया कि हमला हमारी ओर से हुई चूक के कारण हुआ. उन्होंने तुरंत मुझे चुप रहने और इस मामले पर बात न करने के लिए कहा। एनएसए डोभाल, जिनके साथ मैंने पढ़ाई की है, ने भी मुझे चुप करा दिया.”
कार्यक्रम में मेजर जनरल (रिटायर्ड) विशंबर दयाल ने कहा कि जिस देश में इतनी असमानता हो, और हमारे अस्थिर पड़ोसी हों, वहां की सुरक्षा के चिंता करना वाजिब है। लेकिन समाज और नागरिकों को अंदर से सुरक्षित किए बिना हम देश की सुरक्षा नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा का जिम्मा भले ही सेना पर है, लेकिन सुरक्षा संबंधित किसी कमेटी में सेना के अधिकारी नहीं है। यहां तक की कई बार से राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी गैर सैन्य अधिकारियों को बनाया जा रहा है। सेना सिर्फ सुरक्षा संबंधी आदेश को लागू करती है। उसे सुरक्षा संबंधी योजना बनाने से दूर रखा गया हैा।
सांसद दानिश अली ने कहा कि उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा तक में नफरत और घृणा फैलाकर दंगा कराया जा रहा है। जनता को आपस में धर्म, जाति और क्षेत्र के आधार पर बांटा जा रहा है। इन सबके बीच आश्चर्य की बात ये है कि जनता फिर उन्हीं को चुन रही है।
सीमा सुरक्षा बल के अतिरिक्त महानिदेशक (रिटायर्ड) संजीव के सूद ने पुलवामा हमले के दौरान की परिस्थितियों, सिक्योरिटी एलर्ट को नजरंदाज करने और हमले के बाद उसके राजनीति उपयोग का हवाला देते हुए पुलवामा हमले को संदिग्ध बताते हुए जांच की मांग की।