लखनऊ -समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि आयात को बढ़ावा देकर पूंजीपतियों को लाभ पहुंचाने के लिये तैयार किया गया बजट आम लोगों के लिये मृग मारीचिका के समान है। आत्मनिर्भर भारत की बात करने वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार देश को आयात निर्भर बना रही है।
श्री यादव ने बुधवार को कहा कि विकास और रोजगार के लिये जरूरी निर्माण क्षेत्र के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं किया गया है। बजट में न तो स्मार्ट सिटी का जिक्र है और न ही उत्तर प्रदेश में नये एक्सप्रेस वे की कोई व्यवस्था है। यहां तक कि नये पावर प्लांट लगाने की भी कोई घोषणा बजट में नहीं की गयी है। सरकार ने यह भी नहीं बताया कि उसकी महत्वाकांक्षी ओडीओपी योजना जमीन में कितनी सफल रही है। किसानों के लिए नई मंडी बनाने, एमएसपी आदि के लिए घोषणा नहीं की गयी। बजट में वित्त मंत्री ने जीएसटी पर कोई चर्चा नहीं की, जिससे व्यापारी वर्ग सबसे अधिक परेशान है।
श्री यादव ने कहा कि दूसरी ओर भाजपा सरकार में चीन से आयात बढ़ता जा रहा है। चीन की झालरों की चमक में भाजपा सरकार प्रदेश में ग्लोबल समिट करा रही है। चीनी झालरों से हर गली-नुक्कड़ को रंगीन करने वाली भाजपा ने आयात पर छूट दे रखी है। सच तो यह है कि भाजपा सरकार देश को आत्मनिर्भर नहीं, आयात निर्भर बना रही है। देश पर कर्ज बढ़ रहा है। आयात पर निर्भरता का बढ़ना चिंताजनक है। भाजपा सरकार में सन् 2024 के पहले आखिरी बजट भी मृग मरीचिका ही है।
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार मेडिकल क्षेत्र में विकास की बात कर रही है जबकि सच्चाई यह है कि मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था ही बर्बाद है। यूपी में गोरखपुर जैसे जिलों में बने एम्स बंद पड़े हैं। सरकार नई एम्बुलेंस की बात कर रही लेकिन अस्पतालों में डाॅक्टर, इलाज ही नहीं तो एम्बुलेंस का क्या करेंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि दस वर्ष की सरकार के अंतिम बजट में गरीबों, किसानों और मजदूरों के लिए कुछ नहीं है। गेंहू सस्ता है, आटा मंहगा है। मंहगाई चरम पर है। 23 करोड़ लोग बेकार हैं। बेरोजगारी बेलगाम है। गरीबों को अपमानित किया जा रहा है।
उन्होने कहा कि केन्द्रीय बजट से किसान को कुछ नहीं मिला। प्रधानमंत्री ने किसान की आय दुगनी करने और दो करोड़ नौकरियां देने की झूठी दिलासा दिलाई थी। एक लाख करोड़ रूपए पिछले बजट में कृषि मंडियों के लिए रखे गए थे लेकिन एक भी नई मण्डी नहीं बन सकी। खेती में कोई सुधार नहीं हुआ। युवाओं को उम्मीद थी कि इस बजट में रोजगार पर बात होगी मगर उन्हें निराशा मिली।