Tuesday, December 24, 2024

भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का विस्तृत क्षितिज

भारत दुनिया की सबसे बड़ी एवं सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है और इसका खाद्य प्रसंस्करण उद्योग आर्थिक विकास को गति देने एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। भारत सरकार ने विभिन्न व्यावहारिक पहल के साथ-साथ सुधारों के नए युग की शुरुआत की है, जिसने भारत को तेजी से विकास के पथ पर ला खड़ा किया है। भारत सरकार की प्रगतिशील नीतिगत पहल एवं उपायों के कारण खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र ने हाल के वर्षों में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है और मैन्यूफैक्चरिंग के सकल मूल्य वर्धित (जीवीए) में 7.66 प्रतिशत और वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान कृषि के जीवीए में 8.45 प्रतिशत का योगदान दिया है।
समृद्ध एवं विविधतापूर्ण कृषिगत संसाधनों से लैस भारत वैश्विक स्तर पर खाद्य उत्पादन के मामले में महत्वपूर्ण शक्ति है। दूध, पोषक अनाज, खाद्यान्न, फल, सब्जियां, चाय और मछली जैसी कई खाद्य पदार्थों का सबसे बड़ा उत्पादक होने के नाते, इसने खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के लिए एक मजबूत आधार तैयार किया है। वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान भारत का कृषि-खाद्य निर्यात बढ़कर 46.4 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जो इस क्षेत्र की तीव्र प्रगति और इसके बढ़ते वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है। कुल कृषि-खाद्य निर्यात में प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 2014-15 में 4.90 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़ कर 2023-24 में 10.88 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गई। नवाचार, निवेश और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के सही मिश्रण के साथ, यह क्षेत्र अपनी क्षमता का संपूर्ण दोहन करने और देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देने के लिए तैयार है।
भारत के खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में अपार एवं विविधतापूर्ण अवसर उपलब्ध हैं और इसका प्रत्येक उप-क्षेत्र विकास की अनूठी संभावनाएं प्रदान करता है। प्रौद्योगिकी के आगमन ने इस उद्योग में क्रांति ला दी है, जिससे खाद्य सुरक्षा, पैकेजिंग, लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला के प्रबंधन में अभूतपूर्व प्रगति हुई है। ई-कॉमर्स में आए उछाल और उपभोग के लिए तैयार (रेडी-टू-ईट) व सुविधाजनक खाद्य पदार्थों की बढ़ती मांग ने इस क्षेत्र के विकास के नए रास्ते खोल दिए हैं, जिससे यह निवेशकों और उद्यमियों के लिए एक आकर्षक विकल्प बन गया है।
खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के समग्र विकास को सहायता प्रदान करने हेतु, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय (एमओएफपीआई) ने ऐसी कई योजनाएं और पहल लागू की हैं जो बदलाव लाने और एक मजबूत इकोसिस्टम को बढ़ावा देने में अहम रही हैं। यह इकोसिस्टम सूक्ष्म, लघु, मध्यम एवं बड़े उद्यमों में नवाचार, निवेश और समावेशिता को प्रोत्साहित करता है। प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (पीएमकेएसवाई) नाम की प्रमुख योजना ने खेतों से रिटेल आउटलेट तक कुशल आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के साथ आधुनिक बुनियादी ढांचे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
इन प्रयासों से न केवल फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम किया जा सका है, बल्कि निर्यात क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। इसके अलावा, उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआईएस) भारत के खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के विकास और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक प्रमुख प्रयास है। मंत्रालय देश में सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की स्थापना/उन्नयन के लिए वित्तीय, तकनीकी और व्यावसायिक सहायता प्रदान करने हेतु केन्द्र प्रायोजित पीएम सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्योग की औपचारिकीकरण योजना (पीएमएफएमई) भी लागू कर रहा है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय ऐसे जीवंत व सुदृढ़ खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है जो न केवल भारत की आर्थिक समृद्धि में योगदान दे, बल्कि देश के लोगों का कल्याण भी सुनिश्चित करे।
-अनीता प्रवीण

- Advertisement -

Royal Bulletin के साथ जुड़ने के लिए अभी Like, Follow और Subscribe करें |

 

Related Articles

STAY CONNECTED

74,303FansLike
5,477FollowersFollow
135,704SubscribersSubscribe

ताज़ा समाचार

सर्वाधिक लोकप्रिय