Friday, December 13, 2024

‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ विधेयक के प्रारूप को कैबिनेट की मंजूरी का राजनीतिक हलके में स्वागत

नई दिल्ली। केंद्रीय कैबिनेट ने गुरुवार को ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ से जुड़े विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है और इस सत्र में यह विधेयक संसद में पेश किया जा सकता है। विधेयक के प्रारूप को मंजूरी मिलने के बाद सियासी बयानबाजियों का दौर भी तेज हो गया है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस पर अपनी-अपनी प्रतिक्रिया दी है। उत्तर प्रदेश के मंत्री राकेश सचान ने कहा कि पूरा देश पांच साल तक चुनावों में व्यस्त रहता था, इससे अब मुक्ति मिल चुकी है। अब लोगों को चुनावों की सिरदर्दी नहीं होगी। यह बदलाव देश के लिए बहुत लाभकारी साबित होगा। पिछले कई वर्षों से यह मांग चल रही थी कि देश में एक ही समय पर चुनाव होने चाहिए, ताकि हर समय चुनावों के शोर और व्यस्तता से छुटकारा मिल सके।

अब जो विधेयक का प्रारूप पास हुआ है, उससे निश्चित रूप से देश में एक बड़ा बदलाव आएगा। जब पांच साल में एक बार चुनाव होंगे, तो यह लंबी विकास यात्रा की शुरुआत होगी और देश का विकास तेजी से होगा। यह विधेयक बहुत अच्छे तरीके से लाया गया है और पारित किया गया है, जो देश के समग्र विकास के लिए अहम कदम साबित होगा। मध्य प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ देश के हित में है, लेकिन सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि वह इसे किस स्थिति में लागू करना चाहती है और इसका रूप क्या होगा। भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर कोई स्पष्ट बात नहीं की है। मैं समझता हूं कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ से पहले देश में ईवीएम की विश्वसनीयता सुनिश्चित करनी जरूरी है। जब तक ईवीएम पर भरोसा नहीं होगा, तब तक चुनावी प्रक्रिया पर सवाल उठते रहेंगे। इसलिए ईवीएम की स्थिति स्पष्ट होनी चाहिए, तभी चुनावी प्रक्रिया को लागू किया जाना चाहिए।

भाजपा विधायक संजय उपाध्याय ने कहा कि लंबे समय से चुनाव प्रक्रिया में सुधार की मांग हो रही थी। पहले ऐसा होता था कि साल भर देश में अलग-अलग चुनाव होते रहते थे, जिसके कारण आचार संहिता के दौरान बड़े पैमाने पर विकास कार्य रुक जाते थे। इस स्थिति को सुधारने के लिए आज कैबिनेट में ‘एक देश, एक चुनाव’ से जुड़े विधेयक का प्रारूप पास हुआ है, जिसका हम पूरी तरह से स्वागत करते हैं। अब हम उम्मीद करते हैं कि यह विधेयक जल्दी ही संसद में पारित हो, ताकि देश में चुनावी प्रक्रिया को और अधिक व्यवस्थित और विकासात्मक बनाया जा सके। जेडीयू नेता संजय झा ने ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव पर अपनी पार्टी का समर्थन व्यक्त करते हुए कहा, “हम लोग पहले भी इस मुद्दे पर समिति के सामने गए थे और हमारी पार्टी ने यह प्रस्ताव रखा था कि संसद और विधानसभा के चुनाव एक साथ होने चाहिए।

पंचायत चुनाव को अलग रखा जा सकता है, लेकिन संसद और विधानसभा का चुनाव एक साथ होने से खर्च में भी कमी आएगी और चुनाव प्रक्रिया भी सरल हो जाएगी। इसके अलावा, एक साथ चुनाव होने से जो भी सरकार चुनी जाएगी, उसे पांच साल तक काम करने का पूरा समय मिलेगा, जिससे स्थिरता बनी रहेगी।” भाजपा सांसद कंगना रनौत ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ का समर्थन करते हुए कहा कि यह एक अच्छा कदम है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस प्रक्रिया में सरकार का बहुत सारा समय और पैसा खर्च होता है, जो अब बच सकेगा। दो से तीन महीने तक चुनाव प्रक्रिया चलती है और इस दौरान सारी चुनावी मशीनरी लगती है। यदि ‘एक देश, एक चुनाव’ लागू होता है, तो इससे यह सब बचत होगी और सरकार का समय और संसाधन सही दिशा में इस्तेमाल हो सकेगा। यह एक सकारात्मक और प्रभावी कदम है। राज्यसभा सदस्य समिक भट्टाचार्य ने कहा कि हम इसका स्वागत करते हैं। यह बीजेपी के लिए कोई छिपा हुआ एजेंडा नहीं था।

हमारे नेता लाल कृष्ण आडवाणी भी इस विचार का समर्थन करते थे और उन्होंने भी कहा था कि ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ होना चाहिए। बीजेपी बहुत समय से इस मुद्दे पर मांग कर रही है और यह हमारा एजेंडा था। यह सिर्फ बीजेपी का नहीं, बल्कि देश के कई अर्थशास्त्रियों, राजनीतिक वैज्ञानिकों, रिटायर्ड आईएएस अफसरों, प्रशासनिक अधिकारियों और आम नागरिकों की भी राय है। देश की जनता चाहती है कि चुनावों का खर्च कम हो, हमारी अर्थव्यवस्था मजबूत हो, और कानून-व्यवस्था बनाए रखने में आसानी हो। यही कारण है कि ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ की दिशा में कदम बढ़ाए जा रहे हैं। हम इसका स्वागत करेंगे। भट्टाचार्य ने कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस एक ही भाषा बोल रही हैं, जो फेडरल स्ट्रक्चर के खिलाफ है। कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस लगातार केन्द्र सरकार के खिलाफ बोलते हैं। इन पार्टियों का उद्देश्य सिर्फ बीजेपी का विरोध करना है, चाहे वह मुद्दा कोई भी हो।

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