कोलकाता। कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के आपातकालीन विभाग में तोड़फोड़ के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट ने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगनम और न्यायमूर्ति हिरणमय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने तोड़फोड़ की घटना पर दायर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ”क्या हो रहा है? पुलिस 100 लोगों के इकट्ठा होने पर भी करीब से नजर रखती है। तो फिर 7,000 लोगों के इकट्ठा होने की जानकारी क्यों नहीं थी? यह विश्वास करना मुश्किल है।” मुख्य न्यायाधीश ने राज्य सरकार के वकील से यह भी पूछा कि क्या प्रशासन ने क्षेत्र में धारा 144 लगाने की आवश्यकता पर विचार किया था। उन्होंने आगे कहा, ”इतना बड़ा कांड हुआ, मेडिकल बिरादरी के प्रतिनिधि विरोध प्रदर्शन कर रहे थे। राज्य सरकार क्या कर रही है? पुलिस अपने लोगों की सुरक्षा नहीं कर पाई।
यह राज्य प्रशासन की पूरी तरह विफलता है।” सुनवाई के दौरान आरजी कर अस्पताल परिसर में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) की तैनाती की मांग की गई। अब इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है। उधर, शुक्रवार को ही आरजी कर के विवादास्पद पूर्व प्राचार्य डॉ. संदीप घोष ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए कलकत्ता हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। डॉ. घोष के वकील को कोर्ट ने कहा, ठीक से याचिका दायर करे और उन्हें घर पर रहने की सलाह दें।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है। आप शांति से घर पर रहें। अन्यथा अदालत वहां सीएपीएफ की तैनाती का निर्देश देगी।” इसी खंडपीठ ने इसी हफ्ते डॉ. घोष को राज्य के किसी भी मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल के रूप में नियुक्त करने पर रोक लगा दी थी। शुक्रवार को डिवीजन बेंच ने सीबीआई को आरजी कर का दौरा करने और वहां विस्तृत निरीक्षण करने का पूरा अधिकार दिया। वहीं सीबीआई अगले सप्ताह होने वाली सुनवाई के दिन मामले की जांच की प्रगति रिपोर्ट अदालत को सौंपेगी।