मेरठ: हापुड़ रोड स्थित कैपिटल अस्पताल में महिला करिश्मा की लिफ्ट में मौत के मामले में पुलिस बैकफुट पर आ गई है। पुलिस ने आरोपियों पर मेहरबानी दिखाते हुए एफआर (फाइनल रिपोर्ट) लगा दी है। जबकि प्रशासन की जांच कमेटी ने अस्पताल प्रबंधन को दोषी पाया था और स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया था। आवास-विकास परिषद ने भी अस्पताल भवन को अनधिकृत मानते हुए ध्वस्तीकरण के आदेश दिए थे। लेकिन करिश्मा को इंसाफ नहीं मिल पाया है।
किठौर थाना क्षेत्र के बहरोड़ा गांव की निवासी सेना की नर्सिंग विंग में तैनात अंकुश मावी की पत्नी करिश्मा को 5 दिसंबर को लोहियानगर थाना क्षेत्र के कैपिटल अस्पताल में प्रसव के लिए भर्ती कराया गया था। बालिका को जन्म देने के बाद करिश्मा को लेबर रूम से वार्ड में शिफ्ट किया जा रहा था, तभी अस्पताल की लिफ्ट में फंसने से उसकी मौत हो गई। इस मामले में काफ़ी हंगामा हुआ था और स्वास्थ्य विभाग ने अस्पताल को सील कर दिया था।
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पीड़ित परिजनों की शिकायत पर अस्पताल संचालक कपिल त्यागी, राजीव अग्रवाल, प्रबंधक नरेंद्र भड़ाना और चिकित्सक कविता भाटिया के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ था। डीएम ने मामले की जांच के लिए कमेटी बनाई थी, जिसने तमाम कमियों को उजागर किया। इसके बाद सीएमओ ने अस्पताल का लाइसेंस निरस्त कर दिया और आवास-विकास परिषद ने भवन को अनधिकृत मानते हुए ध्वस्तीकरण के आदेश जारी किए थे। बावजूद इसके, लोहियानगर पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार नहीं किया और अब एफआर लगाकर मामला बंद कर दिया है। पुलिस का तर्क है कि दोनों पक्षों में समझौता हो गया है। सीओ कोतवाली आशुतोष कुमार का कहना है कि इस मामले में विधिक राय ली जाएगी।
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