Monday, December 23, 2024

नोएडा सीएमओ कार्यालय तक पहुंची किडनी कांड की जांच, दिल्ली पुलिस ने तलब किया रिकॉर्ड

नोएडा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम द्वारा किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ करते हुए एक नामी डॉक्टर समेत सात लोगों की हुई गिरफ्तारी के बाद इसकी जांच गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी कार्यालय तक पहुंच गई है। दिल्ली पुलिस के अधिकारियों ने इस मामले में सीएमओ ऑफिस से रिकार्ड तलब किया है। इसमें नोएडा के भी कुछ अस्पताल संलिप्त है। पुलिस की जांच में पता चला कि इस रैकेट के तार नोएडा, दिल्ली से लेकर बांग्लादेश तक जुड़े हुए हैं।

 

गौतमबुद्ध नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर सुनील कुमार शर्मा ने बताया कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच की टीम ने अंग प्रत्यारोपण की अनुमति से जुड़े दस्तावेज तलब किया है। जिन मामलों में क्राइम ब्रांच की टीम ने दस्तावेज मांगे हैं, उन्हें उपलब्ध करवा दिया गया है। उन्होंने बताया कि अंग प्रत्यारोपण की अनुमति जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण समिति देती है। जो रिकॉर्ड सामने आते हैं उनकी जांच के बाद कानूनी तरीके से अनुमति दी जाती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस की जांच में उनके कार्यालय पूरा सहयोग कर रहा है। दिल्ली क्राइम ब्रांच की टीम ने वर्ष 2022 से अब तक किडनी ट्रांसप्लांट के लिए दी गई तमाम अनुमतियों की जांच करनी शुरू कर दी है। इसमें गौतम बुद्ध नगर के कई अस्पतालों की संलिप्ता सामने आई है।

 

सीएमओ ने बताया कि वर्ष 2018 के शासनादेश के बाद सीएमओ की अध्यक्षता में जिला स्तरीय अंग प्रत्यारोपण समिति बनाई गई थी। समिति में सीएमओं के अलावा स्वास्थ्य विभाग एनजीओ, निजी अस्पताल के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं। समिति  मरीज और डोनर दोनों से कैमरे के सामने बातचीत कर जरूरी दस्तावेज की जांच कर प्रत्यारोपण की अनुमति देतक है। वीडियो रिकॉर्डिंग को भविष्य के लिए साक्ष्य के रूप में भी रखा जाता है। 2018 से पहले यह समिति डीएम की अध्यक्षता में काम करती थी।

 

बताया जाता है कि मेडिकल टूरिज्म की आड़ में एनसीआर में स्थित कई बड़े अस्पताल भारत के आसपास के गरीब देशों से आकर शारीरिक अंग बेचने वाले लोगों से संपर्क करके लाखों रुपए के वारे- न्यारे कर रहे हैं। वर्ष 2021 में भी नोएडा के सेक्टर 62 स्थित फोर्टिस हॉस्पिटल में किडनी ट्रांसप्लांट कराने आए बांग्लादेशी लोगों के बीच में विवाद हो गया था। उसके बाद इस मामले में थाना फेस-तीन में मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में कुछ लोग की गिरफ्तारी हुई थी लेकिन सरगना अभी भी फरार है। बताया जाता है कि यह कारोबार काफी बृहद रूप से चल रहा है।

 

पुलिस के अनुसार, दिल्ली पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए आरोपी 20 से 30 लाख रुपये में किडनी बेचते थे। बांग्लादेश के ही डोनर और रिसीवर दोनों होते थे। जांच में पता चला कि 2019 से ऑर्गन रैकेट चला रहे थे। गिरफ्तार आरोपितों में दिल्ली के नामी हॉस्पिटल की किडनी सर्जन डॉक्टर विजया कुमारी शामिल हैं। बताया गया कि महिला डॉक्टर अस्पताल में केस के लिए लगातार आती थीं। अब महिला डॉक्टर को सस्पेंड कर दिया गया है। आरोपितों के पास से बांग्लादेश हाई कमीशन के कई फर्जी दस्तावेज भी बरामद किए गए हैं।

 

आरोपी डोनर से एक किडनी 4-5 लाख रुपए में लेते थे और रिसीवर को 20 से 25 लाख में बेचते थे। गिरफ्तार महिला डॉक्टर हर सर्जरी का दो लाख रुपये लेती थीं। डॉक्टर ने अधिकतर सर्जरी नोएडा के एक नामी अस्पताल में की थी। वहीं, डोनर और रिसीवर को दिल्ली के जसोला के एक फ्लैट में रखा जाता था।

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