Wednesday, June 26, 2024

एमएएनएफ के बंद होने से अल्पसंख्यक छात्रों के बीच बढ़ी चिंता, मुस्लिम धर्मगुरुओं ने जताई चिंता

मेरठ। शैक्षिक अनुदान बेहतर मानक अनुसंधान प्राप्ति के लिए एक आर्थिक प्रोत्साहन है। यह छात्रों को आर्थिक बाधाओं और ऋण से दूर करने के लिए स्थापित किए गए हैं। जो अन्यथा शिक्षा की गुणवत्ता में बाधा उत्पन्न करते हैं। जेआरएफ या एमओएमए जैसी योजनाएं हजारों छात्रों की शैक्षिक यात्रा का समर्थन करती हैं। पिछले साल अल्पसंख्यक छात्रों के लिए मौलाना आजाद नेशनल फेलोशिप यानी एमएएनएफ के बंद होने से अल्पसंख्यकों के बीच चिंता बढ़ गई है। मुस्लिम धर्मगुरुओं की हुई बैठक में मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के युवाओं की शिक्षा पर जोर दिया गया। इसी के साथ शिक्षा पूरी करने के लिए दी जाने वाली छात्रवृत्ति पर भी गहन मंथन किया गया।

 

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मौलाना जहीर अहमद ने कहा कि एमएएनएफ अल्पसंख्यक छात्रों के शैक्षिक विकास को बाधित करेगा और उच्च डिग्रियां जैसे एमफिल और पीएचडी में उनके प्रवेश को रोक देगा। हालांकि, एमओएमए, प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्तियां जैसी योजनाएं मौजूद हैं। यह अल्पसंख्यकों की शिक्षा का समर्थन करना जारी रखेंगी। हालांकि, ऐसी योजनाओं की कोई स्थायित्व नहीं है। जिसका अर्थ है कि इन छात्रवृत्तियां के साथ या इसके बिना, अल्पसंख्यकों को अपनी शिक्षा का प्रबंधन करना होगा और अपनी उच्च शिक्षा के लिए जेआरएफ जैसे प्रोत्साहनों को सुरक्षित करना होगा।

 

इसलिए यह आकलन करने की आवश्यकता है कि क्या इसके रुकने से अल्पसंख्यक छात्रों विशेषकर मुसलमानों की उच्च शिक्षा बाधित होगी।

 

डॉ. एसडी खान ने कहा, एमएएनएफ फेलोशिप के अभाव में छह अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों जैसे मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन तथा पारसी समुदायों से संबंधित छात्रों के लिए प्री-मैट्रिक, पोस्ट मैट्रिक और योग्यता एवं साधन आधारित छात्रवृत्ति योजनाएं लाखों छात्रों को लाभान्वित करती रहेंगी। अनुमान है कि  2016 से 2021 तक अल्पसंख्यक छात्रों के लिए 3.3 करोड़ रूपये और अकेले मुसलमानों के लिए 2.3 करोड़ रूपये वितरित किए गए हैं। 2016 से 2021 के बीच, अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने चार छात्रवृत्ति कार्यक्रमों में छात्रवृत्ति के रूप में लगभग 9,904 करोड़ रुपये वितरित किए, जो प्री- और पोस्ट-मैट्रिक शिक्षा से पीएचडी स्तर तक, साथ ही तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा में योग्य छात्रों के लिए सहायक सिद्ध होंगे।

 

उन्होंने कहा कि ये छात्रवृत्तियाँ कम प्रतिनिधित्व वाले समूहों के छात्रों को स्कूलों, कॉलेजों और उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश के लिए एक प्रेरक शक्ति हैं। यह अल्पसंख्यक युवाओं की सफलता के लिए आधार प्रदान करती हैं और उन्हें सेवा क्षेत्र में लाभ देती हैं। यह उपेक्षित समूहों एवं सुदूर क्षेत्र के लोगों के उत्थान के लिए किए जा रहे सरकार के प्रयासों को भी दर्शाती हैं। यद्यपि, एमएएनएफ को जारी रखने से अल्पसंख्यक छात्रों को उच्च शिक्षा में अधिक अवसर मिलेंगे।

 

लेकिन सरकार के निर्णय लोकहित में होते हैं इसलिए निर्णयों का पालन करना ही हितकारी एवम् तर्कसंगत है। अन्ततः, एमएएनएफ के साथ या उसके बिना, अल्पसंख्यकों को अपनी उच्च शिक्षा के प्रयास सतत् जारी रखने होंगे और निराशाजनक आख्यानों को उच्च शिक्षा प्राप्ति में बाधा बनने से रोकना होगा। निराशाजनक आख्यान वस्तुतः विभाजन एवम अविश्वास उत्पन्न करने के लिए  बनाए जाते हैं।

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