लखनऊ- एक करोड़ रुपये की रिश्वत मांगने के मामले में आरोपी निकांत जैन को आखिरकार 65 दिन बाद विशेष अदालत से जमानत मिल गई है। यह मामला न केवल इन्वेस्ट यूपी की साख पर सवाल खड़े करता है, बल्कि उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में गहरी हलचल का कारण भी बना हुआ है। विशेष अदालत ने शुक्रवार को उन्हें दो-दो लाख रुपये की जमानत और दो लाख रुपये के व्यक्तिगत बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। इस केस में अब आईएएस अभिषेक प्रकाश की मुश्किलें बढ़ सकती हैं, जिनका नाम चार्जशीट में बार-बार सामने आ रहा है।
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कहां से शुरू हुआ मामला?
सोलर उपकरण बनाने वाली कंपनी “सेल सोलर P6 प्राइवेट लिमिटेड” के प्रतिनिधि विश्वजीत दत्ता ने उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव को एक विस्तृत शिकायत सौंपी थी। शिकायत में कहा गया कि इन्वेस्ट यूपी में वरिष्ठ अधिकारी के नाम पर निकांत जैन ने 5% कमीशन की मांग की थी। यह रकम कंपनी द्वारा प्रस्तावित यूनिट लगाने के एवज में मांगी गई थी। आरोप है कि यह मांग सीधे तौर पर इन्वेस्ट यूपी के तत्कालीन सीईओ और वरिष्ठ आईएएस अफसर अभिषेक प्रकाश के प्रभाव का हवाला देकर की गई थी।
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IAS अभिषेक प्रकाश निलंबित, अब हो सकती है कार्रवाई
शिकायत सामने आने के बाद 20 मार्च को तत्कालीन इन्वेस्ट यूपी सीईओ अभिषेक प्रकाश को निलंबित कर दिया गया था। हालांकि, अब तक उन्होंने एसआईटी या विजिलेंस के सामने कोई भी बयान नहीं दिया है। एसआईटी द्वारा दाखिल 1600 पन्नों की चार्जशीट में उनका नाम कई बार सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक, अब एसआईटी उन्हें दोबारा समन भेजने की तैयारी में है और विजिलेंस अगली चार्जशीट में उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश कर सकती है।
कोर्ट ने पुलिस कस्टडी अर्जी खारिज की
भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत कार्यरत विशेष न्यायाधीश सत्येंद्र सिंह ने पुलिस की कस्टडी अर्जी को खारिज करते हुए आरोपी निकांत जैन को जमानत दी। एसआईटी की ओर से 19 मई को दाखिल की गई विस्तृत चार्जशीट में निकांत जैन के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश किए गए हैं, लेकिन उनका यह भी तर्क था कि जांच पूरी हो चुकी है और अब कस्टडी की आवश्यकता नहीं है।