संसार के प्रत्येक मनुष्य और प्रत्येक वस्तु में गुण अथवा अवगुण दोनों होते हैं। उनके गुण या अच्छाई को देखना सकारात्मक दृष्टिकोण है और अवगुण तथा बुराई को देखना नकारात्मक दृष्टिकोण है। यह हमारे दृष्टिकोण ही होते हैं, जिनके द्वारा हम सफलता की सीढिय़ां चढ़ते हैं।
विद्वानों का मत है कि सदैव ही हमें सकारात्मक दृष्टिकोण रखना चाहिए। प्रत्येक व्यक्ति सफलता की कामना करता है, परन्तु जब तक सोच सकारात्मक नहीं होगी, तब तक सफलता स्वाद चख ही नहीं सकते। नकारात्मक विचारों के कारण व्यक्ति की अधिकांश ऊर्जा व्यर्थ में ही नष्ट हो जाती है, जबकि सकारात्मक सोच वाले व्यक्ति सफलता की सीढिय़ां चढ़ते जाते हैं।
व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का विकास सकारात्मक दृष्टिकोण से ही सम्भव है। संसार के प्रत्येक व्यक्ति में कुछ न कुछ ऐसे गुण अवश्य होते हैं, जो दूसरों में नहीं होते। सकारात्मक दृष्टिकोण से व्यक्ति में उन गुणों के परखने की शक्ति आ जाती है।
प्रत्येक व्यक्ति की सफलता का आधार सकारात्मक दृष्टिकोण ही है, यह बात सदा स्मरण रखनी चाहिए, जो अच्छा लगे, उसे अपनायें और जो बुरा लगे उसे छोड़ देना चाहिए। सकारात्मक भाषा का प्रयोग किया जाये। सकारात्मक ही लिखा जाये और सकारात्मक ही किया जाये, दृष्टिकाण स्पष्ट हो तब देखिए आप आगे ही बढ़ते जायेंगे।