मुजफ्फरनगर। जनपद में 29 साल पहले उत्तराखंड गठन की मांग को लेकर हुए आंदोलन के दौरान गैंगरेप और दूसरे मामले में सीबीआई ने बुधवार को कोर्ट में चश्मदीद की गवाही कराई। इस दौरान सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे। लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी विक्रम सिंह को कोर्ट ने भगोड़ा घोषित करते हुए उसका स्थाई गैर जमानती वारंट सीबीआई को जारी किया।
तीन दशक पहले पृथक उत्तराखंड गठन की मांग को लेकर पहाड़ों में आंदोलन शुरू हो गया था। आंदोलन के तहत 1-2 अक्टूबर 1994 की रात को देहरादून से दिल्ली कूच कर रहे आंदोलनकारियों को मुजफ्फरनगर के रामपुर तिराहा पर रोक लिया गया था। हंगामे के दौरान हुई फायरिंग में 7 आंदोलनकारी मारे गए थे। जबकि महिलाओं के साथ गैंग रेप की शिकायत भी सामने आई थी।
सीबीआई ने की थी प्रकरण की जांच
आंदोलन के दौरान गोलीकांड में 7 लोगों की मौत और महिलाओं से हुए गैंग रेप, छेड़छाड़ की शिकायतों के मामले में दर्ज मुकदमों की विवेचना सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने विवेचना कर अलग-अलग मामलों में चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी।
सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता परविंदर सिंह ने बताया कि रामपुर तिराहा कांड के दो मुकदमों में राधा मोहन द्विवेदी और मिलाप सिंह आदि में बुधवार को कोर्ट में गवाही हुई। उन्होंने बताया कि मुकदमे की सुनवाई एडीजे 7 शक्ति सिंह कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि दोनों मामलों में सीबीआई ने कोर्ट में रामपुर निवासी चश्मदीद गवाह पेश किया। इस दौरान सभी 15 आरोपी कोर्ट में मौजूद रहे, जबकि तीन आरोपियों राधा मोहन द्विवेदी, तमकीन अहमद और संजीव भारद्वाज के अधिवक्ता की ओर से उनकी हाजिरी माफी का प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया गया। सीबीआई के आवेदन पर कोर्ट ने लंबे समय से फरार चल रहे आरोपी विक्रम सिंह को भगोड़ा घोषित करते हुए उसका स्थाई गैर जमानती वारंट जारी किया।