खुशी और उत्साह का प्रतीक रंगों का पर्व होली न केवल सभी को रंगों से खेलने का अवसर प्रदान करता है बल्कि आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में परिवार और दोस्तों के साथ कुछ पल सुकून के साथ बिताने का समय भी प्रदान करता है। हमारे प्रत्येक त्योहार, व्रत, परम्परा और मान्यताओं में एक खास संदेश निहित है। होली भी हमारे जीवन में रंगीनियत भरते हुए उसे फिर से खुशियों से सराबोर करती है और खुलकर जीने का अहसास कराती है। यह पर्व आसुरी शक्तियों पर देवत्व की विजय का प्रतीक पर्व है, जो हमें नकारात्मकता को छोड़ सकारात्मकता को अपनाते हुए उसके संग उत्सव मनाने का संदेश देता है। गिले-शिकवे भुलाकर खुशियां बांटने का पर्व है होली, इसलिए संबंधों को मजबूत बनाने और यदि किसी भी प्रकार की कड़वाहट चल रही है तो यह पर्व उसे भी भुलाकर पास आने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। जीवन में खुशियों के रंग घोलता होली का त्योहार आपसी भाईचारे और सद्भावना का संदेश देता है।
रंगों के इस त्यौहार पर भला कौन ऐसा व्यक्ति होगा, जो आपसी द्वेष भाव भुलाकर रंग-बिरंगे रंगों में रंग जाना नहीं चाहेगा लेकिन रंगों का असली मजा भी तभी है, जब रंगों का रचनात्मक उपयोग किया जाए और होली खेलने के लिए भी केवल सुरक्षित और प्राकृतिक रंगों का ही उपयोग करें। दरअसल लोग एक-दूसरे पर रंग डालकर, गुलाल लगाकर अपनी खुशी का इजहार तो करते हैं लेकिन होली के दिन प्राकृतिक रंगों के बजाय चटकीले रासायनिक रंगों का बढ़ता उपयोग चिंता का बड़ा कारण बनने लगा है। बाजार में बिकने वाले अधिकांश रंग अम्लीय अथवा क्षारीय होते हैं, जो व्यावसायिक उद्देश्य से ही तैयार किए जाते हैं और थोड़ी सी मात्रा में पानी में मिलाने पर भी बहुत चटक रंग देते हैं, जिस कारण होली पर इनका उपयोग अंधाधुंध होता है। ऐसे रंगों का त्वचा पर बहुत हानिकारक प्रभाव पड़ता है। इसलिए बेहतर यही है कि या तो बाजार से अच्छी गुणवत्ता वाले हर्बल रंग-गुलाल ही खरीदें या इन्हें घर पर ही स्वयं तैयार करें। शुष्क त्वचा वाले लोगों और खासकर महिलाओं तथा बच्चों की कोमल त्वचा पर अम्लीय रंगों का सर्वाधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। अम्ल तथा क्षार के प्रभाव से त्वचा पर खुजलाहट होने लगती है और कुछ समय बाद छोटे-छोटे सफेद रंग के दाने त्वचा पर उभरने शुरू हो जाते हैं, जिनमें मवाद भरा होता है। यदि तुरंत इसका सही उपचार कर लिया जाए तो ठीक, अन्यथा त्वचा संबंधी गंभीर बीमारियां भी पनप सकती हैं। घटिया क्वालिटी के बाजारू रंगों से एलर्जी, चर्म रोग, जलन, आंखों को नुकसान, सिरदर्द इत्यादि विभिन्न हानियां हो सकती हैं।
कई बार होली पर बरती जाने वाली छोटी-छोटी असावधानियां भी जिंदगी भर का दर्द दे जाती हैं। इसलिए यदि आप अपनी होली को खुशनुमा और यादगार बनाना चाहते हैं तो इन बातों पर अवश्य ध्यान दें। रासायनिक रंगों के स्थान पर प्राकृतिक रंगों का ही इस्तेमाल करें। ज्यादातर बाजारू रंगों में इंजन ऑयल तथा विभिन्न घातक केमिकल मिले होते हैं, जिनका त्वचा पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। होली खेलने से पहले चेहरे तथा पूरे शरीर पर सरसों अथवा नारियल का तेल या कोल्ड क्रीम अथवा सनस्क्रीन क्रीम लगा लें ताकि रोमछिद्र बंद हो जाएं और रंग त्वचा के ऊपरी हिस्से पर ही रह जाएं। इससे होली खेलने के बाद त्वचा से रंग छुड़ाने में भी आसानी होगी। होली खेलने से पहले बालों में अच्छी तरह तेल लगा लें और नाखूनों पर कैस्टर ऑयल लगाएं ताकि बाद में रंग आसानी से छुड़ाया जा सके। होली खेलने जाने से पूर्व आंखों में गुलाब जल डालें और जहां तक संभव हो, आंखों पर चश्मा लगाकर होली खेलें ताकि रंगों का असर आंखों पर न पड़ सके।
होली खेलने के तुरंत बाद स्नान अवश्य करें लेकिन त्वचा से रंग छुड़ाने के लिए कपड़े धोने के साबुन, मिट्टी के तेल, चूने के पानी, दही, हल्दी इत्यादि का प्रयोग हानिकारक है। चेहरे पर लगे गुलाल को सूखे कपड़े से अच्छी तरह पोंछ लें और रंग लगा हो तो नारियल तेल में रूई डुबोकर अथवा क्लींजिंग मिल्क से हल्के हाथ से त्वचा पर लगा रंग साफ करें। रंग छुड़ाने के लिए नहाने के पानी में थोड़ी सी फिटकरी डाल लें और ठंडे पानी से ही स्नान करें। गर्म पानी से रंग और भी पक्के हो जाते हैं। डिटर्जेंट सोप के बजाय नहाने के अच्छी क्वालिटी के साबुन का उपयोग किया जा सकता है। स्नान के बाद भी त्वचा पर खुजली या जलन महसूस हो तो गुलाब जल में ग्लिसरीन मिलाकर लगाएं। बालों से रंग छुड़ाने के लिए बालों को शैम्पू करें। स्नान के बाद आंखों में गुलाब जल डालें। होली खेलते समय यदि आंखों में रंग चला जाए अथवा आंखों में जलन महसूस हो तो आंखों को मलें नहीं बल्कि तुरंत नेत्र विशेषज्ञ से मिलें।
महिलाएं होली खेलते समय मोटे तथा ढ़ीले-ढ़ाले सूती तथा गहरे रंग के वस्त्र पहनें। सफेद अथवा हल्के रंग के वस्त्र पानी में भीगकर शरीर से चिपक जाते हैं, जिससे सार्वजनिक रूप से महिला को शर्मिन्दगी का सामना करना पड़ सकता है। होली के पावन पर्व के मौके पर ऐसा व्यवहार हरगिज न करें, जिससे आपके रिश्तेदारों, पति के मित्रों अथवा अन्य पुरूषों को आपसे छेड़छाड़ करने का अनुचित अवसर मिल सके। अपना व्यवहार पूर्णत: संयमित, शालीन और मर्यादित रखें और सामने वाले की कोई गलत हरकत देखने के बाद भी उस पर मौन साधकर उसे और आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित न करें।
– योगेश कुमार गोयल