मेरठ। मेरठ में सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम ने कैंट बोर्ड के सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। मेरठ में कैंट बोर्ड कार्यालय में गाजियाबाद सीबीआई टीम ने छापा मारा तो हड़कंप मच गया। सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक की फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर उसके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है।
अभिषेक की तलाश में इस बीच सीईओ ज्योति कुमार ने सीबीआई के कहने पर उससे संपर्क करने का प्रयास किया। लेकिन उसने फोन नहीं रिसीव किया। सीबीआई टीम ने ऑफिस सहित दोनों के घर से दस्तावेज जुटाए हैं। देर रात तक टीम की विभागीय कार्रवाई जारी रही।
कैंट बोर्ड कार्यालय में गुरुवार दोपहर दो बजे सीबीआई की 15 सदस्य टीम सीधा सफाई अनुभाग में पहुंची। टीम द्वारा जिस कक्ष में जांच की गई उस कक्ष में सफाई अधीक्षक वीके त्यागी, सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव और सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक बैठते हैं। टीम ने सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव को लालकुर्ती निवासी वरुण अग्रवाल से रिश्वत लेते हुए मौके पर पकड़ लिया।
विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, छापामारी में 25 हजार, 15 हजार रुपए की दो गड्डी बरामद होने की बात कही जा रही है। इस बीच दूसरा सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक ऑफिस में नहीं होने के कारण सीबीआई के हाथ नहीं लग सका। पीड़ित से अभिषेक की रिश्वत के 10 हजार रुप लेनदेन की रिकॉर्डिंग टीम को मिल गई है। जिसके बाद सीबीआई ने उसके घर पर घंटों तक दस्तावेजों की जांच की। देर रात तक सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक और सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव के घर और छावनी परिषद कार्यालय में सीबीआई टीम जांच करती रही।
लालकुर्ती के गोविंद प्लाजा में 200 से अधिक दुकानें हैं। शिकायतकर्ता वरुण अग्रवाल का आरोप है कि सेनेटरी इंस्पेक्ट योगेश यादव और सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक यहां दुकान में नवीनीकरण के कार्य के लिए 25 हजार से 50 हजार रुपये रिश्वत लेते हैं। वरुण अग्रवाल ने बताया कि उसने दुकान में शटर लगाया तो कैंट बोर्ड की टीम ने उसे तोड़ दिया। इस बीच दो दुकानों में 50 हजार रुपये देकर शटर लगा लिए गए। उसने इस संबंध में सीबीआई ऑफिस में लिखित में शिकायत की।
टीम इस मामले में दो महीने तक लगातार वरुण अग्रवाल के संपर्क में रही। लगातार सारी गतिविधियों पर नजर रखती रही। कई बार माइक और कैमरा लगाकर पीड़ित को दोनों इंस्पेक्टरों के पास भेजा गया और पूरी बातचीत की रिकार्डिंग करा ली गई। इस बीच योगेश यादव ने फोन पर वरुण अग्रवाल को आश्वस्त किया कि पैसा लेकर शटर लग जाएगा। जिसके बाद सीबीआई सक्रिय हो गई। टीम द्वारा शुक्रवार को रिश्वत लेते हुए योगेश यादव को रंगे हाथ दबोच लिया गया।
सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव सितंबर 2016 में मोटर पंप ऑपरेटर की नियुक्ति के मामले में 10 लाख की रिश्वत मांगने पर फंसे थे। सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई में योगेश यादव को जेल जाना पड़ा था। 2019 में जमानत पर बाहर आने पर सीईओ प्रसाद च्वहाण कार्यकाल में योगेश की ज्वॉइनिंग हुई थी। इसके बाद सीईओ नवेंद्र नाथ द्वारा उसको नौकरी से बर्खास्त किया गया था। इसके बाद सीईओ हरेंद्र सिंह के कार्यकाल में योगेश की फिर से ज्वाइनिंग हुई थी। हाल ही में सीईओ ज्योति कुमार द्वारा योगेश यादव पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की गई थी।