Sunday, November 10, 2024

संत की पर्यायवाची ही सेवा होता है- चम्पत राय

अयोध्या। विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की पाक्षिक पत्रिका हिन्दू चेतना का सन्त सेवा संयुक्तांक का विमोचन रविवार को रामनगरी के प्रमुख संन्तों के सानिध्य में कारसेवकपुरम में किया गया। समारोह का शुभारंभ श्रीराम दरबार के समक्ष श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट अध्यक्ष एवं श्रीमणिराम दास क्षावनी महन्त नृत्य गोपाल दास जी महाराज के उत्तराधिकारी महन्त कमलनयन दास, विहिप के उपाध्यक्ष एवं श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट महामंत्री चम्पत राय सहित प्रमुख संन्तों के द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया गया। समारोह की अध्यक्षता महन्त कमलनयन दास ने किया। सभी वक्ताओं ने एक स्वर से संत और सेवा को पर्यायवाची बताया और इस बात पर जोर दिया कि संत और हिंदू समाज की ओर से किए जाने वाले सेवा कार्यों को व्यापक प्रचार प्रसार की आवश्यकता है।

कार्यक्रम की प्रस्तावना चम्पत राय ने व्यक्त करते हुए हिन्दू चेतना के प्रारम्भिक काल से आज तक की स्थिति को सभी संतो के समक्ष स्पष्ट किया। उन्होंने कहा कि सन्त की पर्यायवाची सेवा है। यह पत्रिका सन्त समाज के लिए समर्पित रही। उन्होंने कहा कि यह विशेषांक पूरे देश मे सन्त सेवा को लेकर किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे विशेषांकों के माध्यम से ही सेवा कार्यों का प्रकटीकरण होता है। चम्पत राय ने पूज्य संतों-महंतों के लिए हिंदू चेतना जैसी पत्रिका प्रकाशित किए जाने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि विश्व हिंदू परिषद की स्थापना के तत्काल बाद ऐसी पत्रिका की आवश्यकता प्रतीत हुई, जिसमें संतों द्वारा चलाए जा रहे सेवा कार्यों का वर्णन हो।

अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि संतों ने सेवा कार्य को कभी बाजार के हिसाब से नहीं देखा। इसलिए ऐसे कार्यों की जानकारी सभी तक नहीं पहुंच पाई। उन्होंने यह सुझाव रखा कि विविध क्षेत्रों में संतों की अगुवाई में किए गए कार्यों की जानकारी देने के लिए ऐसे विशेषांक प्रकाशित होने चाहिए| उन्होंने संतों या संस्थानों की ओर से चलाए जा रहे बड़े सेवा कार्यों के नाम भी गिनाए। संतों पर वृहत्तर ज्ञान कोष (एन्साइक्लोपीडिया) बनाने की बात भी कही।

आभार ज्ञापन विहिप संरक्षक दिनेश जी ने करते हुए कहा कि रक्त में ही सेवा कार्य। यह बात हम सभी संन्तों से सुनते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले समाज ही सेवा कार्य करता था। जिनते भी सेवा कार्य हैं, उनमें सबसे अधिक लाखो में सेवा कार्य गिना जाएगा। दुनिया मे जहां अभाव है वहां हिन्दू समाज सेवा कार्य कर रहा है। पहले नेकी कर दरिया में डाल, नेकी कर डोल बजा कर करना है। उन्होंने सभी से आह्वान किया सभी सन्त अपने सेवा कार्यों को अब देना है। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज के रक्त में ही सेवा भाव है। अभावग्रस्त क्षेत्रों में ऐसे कार्य हमेशा से चलते रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे विशेषांक आगे भी निकालते रहने का निर्णय लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब समय “नेकी कर और ढोल बजा” का है।

पूर्व सांसद राम विलास दास वेदांती ने अयोध्या के सन्तों के द्वारा की जा रही सेवा का वर्णन किया। जगतगुरु रामानुजाचार्य श्री धराचार्य महराज अशर्फी भवन ने कहा सेवा धर्म हमारे ऋषि मुनियों ने ही प्रकट किया है। दुनिया को सेवा कार्य की प्रेरणा हिन्दू धर्म से ही मिलती है। जगद्गुरू रामानन्दाचार्य दिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि इसे डिजिटल किया जाये, जिससे वह सभी तक पहुंच सके। यह पत्रिका जग मंगल लोककारी बने यहीं हमारी इच्छा है।

समारोह की अध्यक्षता कर रहे महन्त कमलनयन दास जी महाराज ने कहा कि आज प्रचार प्रसार का जमाना है लेकिन हमारे यहाँ सेवा की प्रधानता हैं प्रचार प्रसार कम है। आज हमारे भाई हमसे क्यों दूर जा रहे हैं। इस पर भी विचार करना है। भगवान श्री राम ने तो सभी को अपनाया है। हम सभी को विचार करना होगा। सभी को जातियों को पूछना बंद करना होगा। केवल सभी की सेवा करनी होगी। अगर राष्ट्र हैं तब सब हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज में अपवित्र बता कर कुछ हिस्से को अलग करने की कोशिश की जाती रही है| जबकि भगवान श्री राम ने समाज के सबसे निचले हिस्से को अपने साथ जोड़कर राम राज्य की स्थापना की| उन्होंने कहा कि ऐसे कार्य किए जाएं जिससे सेवा कार्य को बढ़ावा मिले।

समारोह का संचालन विश्व हिन्दू परिषद के अखिल भारतीय संत संपर्क प्रमुख अशोक तिवारी ने किया। उन्होंने बताया कि देश-विदेश में पूज्य संतों द्वारा विभिन्न क्षेत्रों जैसे शिक्षा, चिकित्सा, स्वास्थ्य, स्वदेशी, स्वावलंबन, नदी एवं जल संरक्षण, गोसेवा, पर्यावरण आदि विभिन्न क्षेत्रों में सेवा प्रकल्प संचालित किए जा रहे हैं। इनमें से कुछ सेवा कार्य सम्पूर्ण समाज के संज्ञान में आ सकें, इस निमित्त संत सेवा संयुक्ताक का प्रकाशन किया गया है। यह पत्रिका श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के दौरान हुई 30 अक्टूबर, 2 नवंबर 1990 और विवादित ढांचा विध्वन्स 6 दिसम्बर 1992 जैसी ऐतिहासिक घटनाओं की प्रत्यक्षदर्शी गवाह रही है और मंदिर के लिए हिन्दू चेतना को जागरूक बनाने का कार्य निरंतर किया है।

इस अवसर पर ट्रस्ट सदस्य महन्त दिनेन्द्र दास , ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा, ज्योतिषाचार्य आचार्य राकेश तिवारी, महन्त धर्मदास महराज, महन्त गौरी शंकर दास, पत्थर मन्दिर महन्त मनीष दास, सरयू आरती संयोजक महन्त शशि कांत दास, पूर्व सांसद डॉ राम विलास दास वेदांती, महंत राम शरण दास रामायणि, महंत राम कृष्ण दास रामायणी, राम बल्लभा कुंज अधिकारी श्रीराज कुमार दास महराज, डांडिया मन्दिर महन्त गिरीश दास सहित अन्य संत महंत प्रबुद्धजन समुपस्थित रहे।

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