Tuesday, October 15, 2024

मुज़फ्फरनगर शहर में लोग ‘लाठी लेकर खुद पहरा देने’ के लिए हुए मजबूर, पुलिस से हुए नागरिक निराश

मुजफ्फरनगर- उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कानून के राम राज्य के बड़े-बड़े दावों के बीच मुजफ्फरनगर में हालत बदतर होते जा रहे हैं और स्थिति यह बन गई है कि पुलिस से निराश नागरिक अब खुद पहरा देने के लिए मजबूर हो गए हैं,मजे की बात यह है कि पहरा देने वालों में सत्ता से जुड़े वे प्रमुख लोग भी शामिल हैं, जो लगातार जनता को यह कहते हैं कि अगर योगी सरकार बदल गई, तो कोई आकर, उनका घर में रहना मुश्किल कर देगा।
मुजफ्फरनगर में कानून व्यवस्था धीरे-धीरे पटरी से उतरती जा रही है और पुलिस की स्थिति यह हो रही है कि किसी की सुनवाई नहीं कर रही है। जिले में डीएम-एसएसपी आदेश देते रहे, तो भी नीचे वाले सुनने को, और कुछ करने को तैयार नहीं है, थाना प्रभारी केवल थानों में बैठकर काम चला रहे हैं और लोगों का कहना है कि 100 का काम अब 2000 में होने लगा है।
एसएसपी हो या एसपी, किसी की शिकायत पर जांच के आदेश कर भी दें, तब भी पीड़ित दोबारा इन अफसरों के पास रोने न पहुंचे, तब तक नीचे के अफसरों को उन शिकायतों को पढ़ने का समय ही नहीं मिलता है। 4 दिन पहले ऐसा एक प्रकरण रॉयल बुलेटिन ने राम समोसे वालों का प्रकाशित भी किया था।
ताज़ा मामला मुजफ्फरनगर के नई मंडी क्षेत्र से जुड़ा है। दो दिन पहले शहर की पॉश कॉलोनी गाँधी कॉलोनी में सरे  बाजार एक ठेले वाले दुकानदार अशोक कश्यप से लूट कर ली गई थी, उस लूट के अपराधियों का तो सुराग लगा ही नहीं, अब एक ताजा फोटो नई मंडी थाना क्षेत्र के ही शांति नगर का आया है, जिसमें चोरों और नशेड़ियों की बढ़ती वारदातों से परेशान होकर शहर वासी खुद ही लाठी डंडे लेकर कॉलोनी में खुद पहरा देने के लिए मजबूर हो गए हैं ।
पहरा देने वालों में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंडल अध्यक्ष राजेश पाराशर भी शामिल है। मौहल्ले वालों के अनुसार मौहल्ले में चोरी की वारदात रोज हो रही है और असामाजिक व नशेड़ी तत्व  रोज मौहल्ले में घूम रहे है। थाना प्रभारी और चौकी प्रभारी को लगातार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही, जिसके बाद उन्हें खुद मजबूरी में पहरा देना पड़ रहा है।
राजेश पाराशर का कहना है कि नयी मंडी के थाना प्रभारी बबलू सिंह वर्मा थाने में ही रहते हैं, उनके क्षेत्र में कहीं गश्त नहीं होती है, उन्हें कई महीने से ये शिकायत की जा रही थी लेकिन एक बार,एक वारदात होने पर चौकी इंचार्ज तो आये थे , थाना प्रभारी ने कभी भी इस इलाके में आना उचित नहीं समझा।
मौहल्ले वालों के मुताबिक, इन थाना प्रभारी का पता नहीं कैसा ‘जुगाड़’ है, कि ये लगातार कई साल से शहर के थानों में ही जमे हुए है। और तो और, बीजेपी के जिला मंत्री वैभव त्यागी और मीडिया प्रभारी प्रवीण शर्मा,खुद अपने एक मामले में
पूर्व मंत्री संजीव बालियान,मंत्री कपिल देव अग्रवाल, पूर्व जिलाध्यक्ष विजय शुक्ला समेत सारे बड़े भाजपाईयों से सिफारिश कराने के बाद भी अपनी एफआईआर नहीं करा पाए थे और जब थाने में धरने पर बैठे और मीडिया में सुर्खियां बनी, तब जाकर उनकी एफआईआर दर्ज हो पाई थी,लेकिन कोतवाल है कि अपनी कुर्सी पर कायम है।
मुजफ्फरनगर में 25 साल पहले तो यह हालत थी कि ग्रामीण इलाकों में लोग रात को खुद पहरा देते थे, अब धीरे-धीरे कानून व्यवस्था सुधरती जा रही थी, 2022 के विधानसभा चुनाव में तो जनता ने योगी सरकार को कानून व्यवस्था के नाम पर ही दोबारा मौका दिया था लेकिन अब  हालात फिर बिगड़ते जा रहे हैं।
जाट कॉलोनी हो, नावल्टी चौक या मोरना इलाका, हर जगह से सरे बाज़ार लड़कियों को खींच लेने तक की वारदातें सामने आ रही, चोरी तो लगातार हो रही है लेकिन शहर हो या गांव,  हर जगह पुलिस गश्त गायब हो चुकी है। शहर में यह चर्चा अब आम हो चुकी है कि पुलिस शहर के हर चौराहे पर, केवल मोटर साइकिल सवारों से वसूली में ही  मस्त है, भले ही उसने हेलमेट भी लगा रखा हो।
रॉयल बुलेटिन जनहित में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अभिषेक सिंह से अपेक्षा करता है कि यदि शहर में नागरिकों को डंडा लेकर खुद पहरा देना पड़ रहा हो, तो ऐसे थाना प्रभारी और चौकी इंचार्ज  को पुलिस लाइन में आराम करने भेज दें और थानों में ऐसे प्रभारी नियुक्त करें जो रात्रि गश्त करें और नागरिकों की सुरक्षा करा सकें।

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