नई दिल्ली। भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ ने रविवार को कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले सात दशकों में “आम लोगों की अदालत” के रूप में काम किया है।
उन्होंने कहा कि हजारों नागरिकों ने इस विश्वास के साथ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया है कि इस संस्था के माध्यम से उन्हें न्याय मिलेगा।
उन्होंने कहा, “हमारा न्यायालय शायद दुनिया का एकमात्र न्यायालय है जहां कोई भी नागरिक, चाहे वह कोई भी हो या जहां से आया हो, भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक मशीनरी को गति दे सकता है।” संविधान दिवस समारोह के मौके पर सुप्रीम कोर्ट परिसर में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा डॉ. बीआर अंबेडकर की एक प्रतिमा का अनावरण करने के बाद अपने संबोधन में उन्होंने यह बात कही।
सीजेआई ने कहा कि ऐसी प्रतिमा स्थापित करना इस विचार का विस्तार है कि न्यायालय से संपर्क करने का अधिकार संविधान का “हृदय और आत्मा” है, जैसा कि डॉ. अंबेडकर ने प्रसिद्ध रूप से कहा था।
उन्होंने कहा, “इसलिए जब हम आज कहते हैं, हम संविधान को अपनाने का सम्मान करते हैं, तो सबसे पहले और सबसे महत्वपूर्ण, हम इस तथ्य का सम्मान करते हैं कि संविधान ‘अस्तित्व में है’, और संविधान ‘काम करता है’।”
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह सुनिश्चित करने के अलावा कि नागरिकों को अपने निर्णयों के माध्यम से न्याय मिले, सुप्रीम कोर्ट अपनी प्रशासनिक प्रक्रियाओं को नागरिक केंद्रित बना रहा है। उन्होंने कहा कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने यह सुनिश्चित करने के लिए सभी अदालतों में ई-सेवा केंद्र शुरू किए हैं कि कोई भी नागरिक न्यायिक प्रक्रिया में पीछे न रह जाए।
उन्होंने कहा, “हम अपने नागरिकों को साझा राष्ट्रीय प्रयास में सह-समान भागीदार के रूप में स्वीकार करते हैं।”