देवरिया। उत्तर प्रदेश के देवरिया जनपद की जिलाधिकारी IAS दिव्या मित्तल अपने कार्यों और प्रेरणादायक व्यक्तित्व के लिए लगातार सुर्खियों में रहती हैं। हाल ही में उन्होंने मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत एक प्रेरणात्मक कार्यशाला का आयोजन किया। यह कार्यक्रम 20 अप्रैल को सुबह 9 बजे राजकीय आईटीआई कॉलेज में हुआ, जहां सिविल सेवा की तैयारी कर रहे छात्रों को फ्री कोचिंग और अनुभवी अफसरों से प्रत्यक्ष मार्गदर्शन मिला।
कार्यशाला के दौरान छात्रों ने DM दिव्या मित्तल से कई व्यक्तिगत और प्रेरक सवाल पूछे, जिनका उन्होंने आत्मीयता और ईमानदारी से जवाब दिया।
एक छात्र ने सवाल किया कि अगर उन्हें जीवन में पीछे जाकर कोई गलती सुधारने का मौका मिले, तो वह क्या बदलना चाहेंगी। इसके जवाब में IAS दिव्या मित्तल ने कहा कि मैं अपने किसी भी फैसले पर पछतावा नहीं करती। उस समय जो भी ज्ञान और अनुभव था, उसी आधार पर निर्णय लिया। यदि बाद में वह निर्णय गलत साबित हुआ, तो भी उस समय के लिए वह सही था।”
उन्होंने आगे कहा कि हमारा जीवन प्रारब्ध और संचित कर्मों का मिश्रण होता है। हम जन्म से जो कुछ लेकर आते हैं और बाद में जीवन में जो अनुभव अर्जित करते हैं, वही मिलकर हमें बनाते हैं।”
दिव्या मित्तल ने आत्ममूल्यांकन की बात करते हुए कहा कि सवाल यह नहीं है कि हम क्या बदलना चाहते हैं, बल्कि यह है कि क्या आज हम खुद से खुश हैं। अगर हम अपने आप को पसंद नहीं करते, तो दुनिया भी हमें स्वीकार नहीं करेगी।”
उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें लगता है कि JEE परीक्षा में उन्हें और मेहनत करनी चाहिए थी। उन्होंने कहा कि मैंने परीक्षा पास कर ली थी, लेकिन बेहतर रैंक हासिल कर सकती थी। तभी से मैंने निर्णय लिया कि कोई भी परीक्षा बिना पूरी तैयारी के नहीं दूंगी — और फिर कभी यह गलती नहीं की।”
IAS दिव्या मित्तल देवरिया में UPSC की तैयारी कर रहे अभ्यर्थियों के लिए चौपाल भी आयोजित कर रही हैं। इस पहल में उनके साथ IAS प्रत्युष पांडेय (CDO देवरिया) भी सक्रिय रूप से शामिल हैं। दोनों अफसर ग्रामीण युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मार्गदर्शन दे रहे हैं।
मूल रूप से हरियाणा की रहने वाली दिव्या मित्तल ने पहले प्रयास में IPS बनकर सफलता पाई थी। लेकिन उनका सपना IAS बनने का था। दूसरे प्रयास में उन्होंने 68वीं रैंक प्राप्त की और IAS बनीं। सिविल सेवा में आने से पहले दिव्या लंदन में नौकरी कर रही थीं, लेकिन देश सेवा का जुनून उन्हें भारत वापस ले आया।