Thursday, November 14, 2024

कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और अभिषेक वर्मा जालसाजी मामले में बरी

नयी दिल्ली- दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर और विवादास्पद हथियार डीलर अभिषेक वर्मा को धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले में बरी कर दिया।

यह मामला एक जाली पत्र से जुड़ा है जिसका इस्तेमाल चीनी दूरसंचार अधिकारियों को वीजा विस्तार का आश्वासन देने के लिए किया गया था।

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सांसद एवं विधायक (एमपी/एमएलए) मामलों की विशेष न्यायाधीश कावेरी बावेजा ने अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष के वकील की दलीलें सुनने के बाद बरी करने का आदेश सुनाया और कहा, ‘सम तिथि के अलग-अलग फैसले के अनुसार आरोपी नंबर एक अभिषेक वर्मा और ए-2 जगदीश टाइटलर को बरी किया जाता है क्योंकि अभियोजन पक्ष मामले को उचित संदेह से परे साबित करने में विफल रहा। दोनों आरोपियों द्वारा प्रस्तुत जमानत बांड रद्द किए जाते हैं और दोनों आरोपियों के जमानतदार भी मुक्त किए जाते हैं।’

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आरोप है कि अभिषेक वर्मा और जगदीश टाइटलर ने आपराधिक साजिश रची और तत्कालीन गृह राज्य मंत्री अजय माकन द्वारा तत्कालीन प्रधानमंत्री को संबोधित एक जाली पत्र के आधार पर मेसर्स जेडटीई टेलीकॉम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के अधिकारियों को धोखा देने और उक्त कंपनी से अवैध रिश्वत प्राप्त करने का प्रयास किया और तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को संबोधित एक जाली पत्र यह धारणा बनाने के लिए भेजा गया था कि चीनी अधिकारियों के लिए वीजा नियमों में ढील दी जा रही है।

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गृह मंत्रालय (विदेशी प्रभाग) द्वारा 2009 में जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, व्यापार वीजा पर भारत में आए सभी विदेशी नागरिकों को उनके मौजूदा वीजा की अवधि समाप्त होने पर या अक्टूबर 2009 तक देश छोड़ने के लिए कहा गया था। इसलिए विदेशी नागरिकों के वीजा के विस्तार के कारण ऐसा करना आवश्यक हो गया था।

आरोप है कि वर्मा और टाइटलर ने जाली पत्र का इस्तेमाल चीनी दूरसंचार अधिकारियों को यह विश्वास दिलाने के लिए किया था कि केंद्र सरकार के साथ वीजा की स्थिति को सुलझा लिया गया है।

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अजय माकन ने जालसाजी के संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने मामला दर्ज किया और जांच के बाद आरोप पत्र दाखिल किया। दलीलें सुनने के बाद अदालत ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 471 (धोखाधड़ी या बेईमानी से किसी जाली दस्तावेज या इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड को असली के रूप में इस्तेमाल करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के तहत और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के प्रावधानों के तहत आरोप तय किए।

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