मोरना। तीर्थनगरी शुकतीर्थ में बहने वाली बाण गंगा में गन्दे पानी के आने से भारी मात्रा में मछलियां मर गई हैं तथा भारी दुर्गन्ध फैल गयी है। काला पानी देखते ही कुछ श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान करना बंद कर दिया। श्रद्धालुओं व साधु संतों ने गन्दा पानी छोडऩे वालों पर कार्रवाई की मांग की है।
उत्तरप्रदेश में मुज़फ्फरनगर की प्रसिद्ध तीर्थनगरी शुकतीर्थ में बह रही गंगा में शुक्रवार की सुबह अचानक उत्तराखंड हरिद्वार की ओर से काला पानी आने लगा। काला पानी देख स्नान कर रहे श्रद्धालु सन्न रह गये।कुछ देर बाद बड़ी संख्या में मृत मछलियां पानी मे बहने लगी। जिसके बाद गंगा घाट पर दुर्गन्ध फैलने लगी। दुर्गन्ध व काले पानी को देख कुछ श्रद्धालुओं ने स्नान नही किया। मेरठ से आये श्रद्धालु बिना स्नान किये ही वापस लौट गये।
नाविकों ने बताया कि बीते कुछ वर्षों से बरसात के समय गंगा में काला पानी छोड़ा जाता है जिससे मछलियां मर जाती हैं। तथा कई दिनों तक श्रद्धालु गंगा में स्नान करने नही आते हैं। उनका रोजगार भी चौपट हो जाता है। गंगा घाट पर मौजूद विकास मुखिया ने बताया कि पवित्र पावनी गंगा में गन्दगी छोडऩा हिन्दुओं की आस्था के साथ खिलवाड़ है। देव नगरी हरिद्वार की ओर से गंगा पानी छोड़ा जाना बेहद शर्मनाक है। गंगा में गन्दा पानी छोडऩे वालों पर प्रशासन को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिये।
सन्दीप गुर्जर ने कहा कि गंगा में गन्दे पानी छोड़े जाने से मछलियां व जलीय जन्तु मर जाते हैं। वहीं जब यह पानी खेतों में जाता है तो किसानों की फसलें बर्बाद हो जाती हैं। पिछले वर्ष इसी काले पानी से क्षेत्र के किसानों की गन्ने की फसल खराब हो गई थी। गंगा में बार बार काला पानी छोडऩे वालों के खिलाफ आज तक कोई ठोस कार्रवाई नही हुई है।
जिला पंचायत अध्यक्ष व नमामि गंगे के प्रदेश सह संयोजक डॉ.वीरपाल निर्वाल ने बताया कि गंगा में गन्दा पानी छोड़ा जाना बेहद खेद जनक है। जांच के उपरांत कार्रवाई कराई जाएगी। जिला गंगा समिति से जुड़े जिला परियोजना अधिकारी हर्ष बालियान ने बताया कि काला पानी व मछलियों के मरने की सूचना प्राप्त हुई थी। मौके पर जाकर निरीक्षण किया गया। उच्चाधिकारियों को अवगत कराया गया है। वहीं पूर्व में भी गंगा में काला पानी आने को लेकर अनेक बार साधु-संत धरना प्रदर्शन कर चुके हैं।साधु सन्तो के अनुसार कार्रवाई के नाम पर प्रशासन द्वारा दिखावा मात्र किया जाता रहा है।