प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के सभी राजस्व अदालतों के अधिकारियों को राजस्व संहिता के उपबंधो का कड़ाई से पालन करने का निर्देश दिया है। राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि वह उप जिलाधिकारी न्यायिक व तहसीलदार न्यायिक के खाली पदों को एक साल के भीतर भरे।
कोर्ट ने मुख्य सचिव को निर्देश दिया है कि आदेश की जानकारी सभी आयुक्तों व कलेक्टर को उपलब्ध करायें। कोर्ट ने यह भी कहा है कि राजस्व संहिता के अंतर्गत दाखिल विवाद में समाप्त हो चुके उप्र जमींदारी विनाश एवं भू राजस्व कानून के उपबंधो का अधिकारियों द्वारा उल्लेख करने पर रोक लगा दी है।
कोर्ट ने कहा है कि राजस्व संहिता में विभिन्न प्रकार के आवेदनों के निस्तारण की अवधि तय है। उसी अवधि के भीतर वाद तय किए जाय।जिन मामलों में समयावधि तय नहीं है उनका निस्तारण छः माह में किया जाय। कोर्ट ने आदेश के उल्लघंन को अदालत की अवमानना करार दिया है। जिसके लिए कलेक्टर, आयुक्त व राजस्व परिषद पर अवमानना कार्यवाही की जायेगी।
यह आदेश न्यायमूर्ति अरूण कुमार सिंह देशवाल ने दया शंकर की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। याची व तिलकधारी व अन्य के बीच धारा 116 मे सम्पत्ति बंटवारे का केस विचाराधीन है। जिसके शीघ्र निस्तारण की मांग में यह याचिका दायर की गई थी।
कोर्ट ने कहा राजस्व संहिता में हर मामले को तय करने की समय सीमा निर्धारित है। वकीलों की हड़ताल व अधिकारियों की गैर मौजूदगी के कारण सुनवाई में देरी हो रही है। ऐसे मामलों को शीघ्र निस्तारण की मांग में भारी संख्या में याचिकाएं दायर की जाती है। कोर्ट ने हर अर्जी को तय करने की समय सीमा तय करते हुए पालन करने का निर्देश दिया है।