Saturday, April 27, 2024

उदयनिधि का विवादास्पद बयान, न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना कार्रवाई की गुहार

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नयी दिल्ली- तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर विवादास्पद टिप्पणी के मामले में कानूनी कार्रवाई करने के मामले में विफल रहने का आरोप लगाते हुए राज्य सरकार के खिलाफ स्वत: संज्ञान लेकर अवमानना करवाई करने की गुहार मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से लगाई गई है।

दिल्ली उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस एन ढींगरा सहित कई पूर्व न्यायाधीशों, सेवानिवृत्त नौकरशाहों और पूर्व सेना अधिकारियों के एक समूह ने तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के पिछले दिनों सनातन धर्म पर की गई टिप्पणी को ‘घृणास्पद भाषण’ करार दिया है।

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समूह ने संयुक्त हस्ताक्षर वाले एक पत्र के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ से कार्रवाई करने की गुहार लगाई है। उन्होंने उस पत्र में दावा किया है कि तमिलनाडु सरकार की कार्रवाई ‘शाहीन अब्दुल्ला बनाम भारत सरकार और अन्य’ के अलावा ‘अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत सरकार’ के मामले में भारत की शीर्ष अदालत के फैसलों के विपरीत है।

पत्र में दावा किया गया है कि शीर्ष अदालत ने तब निर्देश दिया था कि राज्य सरकारों को किसी भी शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना किसी भी घृणास्पद भाषण अपराध के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराना चाहिए। इस प्रकार मुकदमा स्वत: संज्ञान दर्ज किए जाने चाहिए और अपराधियों के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीशों सहित दो सौ से अधिक लोगों के शीर्ष अदालत के मुख्य न्यायाधीश को भेजें पत्र में कहा गया है कि निर्देशों के अनुसार कार्य करने में किसी भी तरह की हिचकिचाहट को अदालत की अवमानना ​​​​के रूप में देखा जाएगा।

तमिलनाडु सरकार के मंत्री उदयनिधि ने पिछले दिनों चेन्नई में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कथित तौर पर सनातन धर्म के संबंध में आपत्तिजनक बयान दिया था।

मुख्य न्यायाधीश को भेजे गए पत्र में उदयनिधि के यह कथित बयान कि, “कुछ चीजों का विरोध नहीं किया जा सकता, उन्हें खत्म कर देना चाहिए। हम डेंगू, मच्छर, मलेरिया या कोरोना का विरोध नहीं कर सकते, हमें इन्हें खत्म करना होगा। उसी प्रकार हमें सनातन धर्म का विरोध नहीं बल्कि उसे मिटाना है।” का उल्लेख किया गया है।

पत्र में यह भी कहा गया है कि उन्होंने (उदयनिधि) आगे जानबूझकर टिप्पणी की कि सनातन धर्म महिलाओं को गुलाम बनाता है।

याचिकाकर्ता समूह का कहना है कि उन्होंने (उदयनिधि) न केवल नफरत भरा भाषण दिया, बल्कि इससे इनकार भी किया कि वह अपनी टिप्पणी के लिए माफी नहीं मांगेंगे। उन्होंने यह कहते हुए खुद को सही ठहराया कि “मैं यह लगातार कहूंगा” अपनी टिप्पणी के संदर्भ में कि सनातन धर्म को खत्म किया जाना चाहिए।”

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