Tuesday, December 24, 2024

कॉरपोरेट जगत को लड़कियों की शिक्षा में योगदान देना चाहिए : उपराष्ट्रपति धनखड़

नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कॉरपोरेट और उद्योग जगत के नेताओं से देश के शैक्षणिक संस्थानों विशेषकर लड़कियों की शिक्षा में लगे संस्थानों को उदारतापूर्वक योगदान देने की अपील की।

उपराष्ट्रपति दिल्ली विश्वविद्यालय के नॉर्थ कैंपस में स्थित इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज के शताब्दी समारोह में छात्राओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों में सीएसआर फंड के योगदान का आह्वान किया और कहा कि उन्हें इस मुद्दे पर इंडस्ट्री के साथ बातचीत करने में खुशी होगी। उन्होंने कहा, “हमारे व्यवसायी विदेशी गैर सरकारी संगठनों को बहुत अधिक दान देते हैं। मुझे थोड़ी चिंता होती है और वह थोड़ा चिंतन का विषय भी है कि हमारे उद्योगपति विदेशी संस्थाओं को मोटा-मोटा डोनेशन देते हैं।”

उन्होंने कहा कि कॉरपोरेट्स को आगे आना चाहिए और लड़कियों की शिक्षा में योगदान के लिए अपने सीएसआर फंड का उपयोग करना चाहिए। धनखड़ ने कहा कि एक लड़की को शिक्षित करने से पूरी पीढ़ी बदल सकती है और एक क्रांति की शुरुआत हो सकती है।

धनखड़ ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र में छात्राएं सबसे बड़ी हितधारक हैं। उन्होंने उपस्थित लड़कियों को आकांक्षी बनने के लिए प्रोत्साहित किया। उपराष्ट्रपति ने इस बात पर प्रकाश डाला कि एक पारिस्थितिकी तंत्र पहले ही बनाया जा चुका है, जहां वे अपनी प्रतिभा का पूरी तरह से दोहन कर सकती हैं और अपनी पूरी क्षमता का एहसास कर सकती हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा, “यह आपके लिए बड़ा सोचने का समय है, आपके लिए उस तरह से सोचने का समय है जैसा आप सोचना चाहती हैं।”

उन्होंने कॉलेज की छात्राओं को नए संसद भवन का दौरा करने के लिए आमंत्रित करते हुए उन्हें ऐसा सैनिक बताया, जो अगले 25 वर्षों में ‘अमृत काल’ के स्वर्णिम काल की शुरुआत करेंगे। धनखड़ ने इस बात पर जोर दिया कि ‘अमृत काल’ आशा और अपार संभावनाओं का समय है। उन्होंने कहा, “भारत पहले से ही एक वैश्विक अर्थव्यवस्था है और निवेश और अवसरों के लिए पसंदीदा स्थान है, हमारी वृद्धि बेजोड़ है, दुनिया हमारी ओर देख रही है।”

उपराष्ट्रपति ने छात्राओं से यह भी आग्रह किया कि वे कभी भी असफलता से न डरें। उन्होंने कहा, “असफलता का डर विकास का हत्यारा है, विफलता का डर नवप्रवर्तन का हत्यारा है, हर विफलता को एक सीढ़ी के रूप में लिया जाना चाहिए।”

‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’, ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और एलपीजी कनेक्शन के वितरण जैसी हालिया पहलों का जिक्र करते हुए धनखड़ ने कहा, “इस सदी में हमारे पास एक निर्णायक क्षण है। लड़कियां भारत के विकास को परिभाषित कर रही हैं!”

उपराष्ट्रपति ने उपस्थित छात्राओं से गौरवान्वित भारतीय होने, भारत का सम्मान करने और राष्ट्र के अभूतपूर्व उत्थान में विश्वास करने का भी आग्रह किया। उन्होंने आर्थिक राष्ट्रवाद का पालन करने की आवश्यकता पर भी जोर देते हुे कहा कि ‘स्वदेशी’ के विचार को अपनाएं और ‘लोकल के लिए वोकल’ बनें।

इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह, कॉलेज की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष आलोक बी श्रीराम, कॉलेज के संकाय सदस्य, छात्र और अन्य गण्यमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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