Friday, April 18, 2025

शामली में टिकैत तिराहा बना डग्गामार वाहनों का अड्डा ,शामली से मेरठ के लिए अवैध तरीके से चलाए जा रहे हैं डग्गामार वाहन

 

शामली। उत्तर प्रदेश के जनपद शामली में परिवहन विभाग व यातायात पुलिस की मिली भगत के चलते अवैध डग्गामार वाहनों का संचालन सभी नियमों कानूनो को ताक पर रखकर किया जा रहा है। जहाँ अवैध डग्गामार वाहन संचालकों द्वारा प्राइवेट वाहनों को टैक्सियों में चलकर सवारियां ढोई जा रही है। जिससे वाहन चालकों की जमकर चांदी हो रही है। वही राजस्व को भारी नुकसान पहुंच रहा है। शामली में यह डग्गामार वाहन कहीं जगह से संचालित किया जा रहे हैं। लेकिन परिवहन विभाग हो या यातायात पुलिस इस मामले में लगातार निष्क्रिय बने हुए हैं।

 

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आपको बता दें पूरा मामला शहर कोतवाली क्षेत्र के टिकैत तिराहे का है। जहाँ परिवहन विभाग व यातायात पुलिस के रहमोकर्म के चलते अवैध डग्गामार वाहनों के संचालन का अवैध धंधा जमकर फल फूल रहा है। जहाँ पुलिस से चंद कदमों की दूरी पर खुलेआम सभी नियमों कानून को ताक पर रखकर शामली से मेरठ के लिए प्राइवेट वाहनों में मनमाना किराया वसूल कर सवारिया ढोई जा रही है।

 

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बताया जा रहा है कि उक्त गाड़ियों में संचालकों द्वारा क्षमता से अधिक सवारिया ले जाई जा रही है । जिससे कभी भी कोई बड़ा हादसा भी हो सकता है। लेकिन सब कुछ हो जाने के बावजूद भी उक्त वाहनों पर कार्रवाई के नाम पर महज खाना पूर्ति कर संबंधित विभाग द्वारा इतिश्री कर ली जाती है। जिसके चलते डग्गामार वाहन जनपद की सड़कों पर खुलेआम फराटा भरते दिखाई देते हैं। चर्चा है कि जब भी कभी संबंधित विभाग के अधिकारी खानापूर्ति कार्रवाई करने के लिए वहां जाते हैं, तो शातिर डग्गामार वाहन संचालक इन डग्गामार वाहनों को सड़क किनारे प्लॉट में खड़ा कर देते हैं और अपने आप भी इधर-उधर हो जाते हैं। लेकिन जैसे ही अधिकारी वहां से चला जाता है तो फिर से अवैध डग्गामार वाहनों का अवैध धंधा शुरू हो जाता है।

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डग्गामार वाहनों की यह स्थिति तब है ज़ब यह मामला शामली के जिलाधिकारी अरविंद कुमार चौहान के संज्ञान में करीब एक महापूर्ब जा चुका है। जिसके संबंध में जिलाधिकारी द्वारा संबंधित अधिकारियों से उक्त मामला की एक जांच रिपोर्ट एक माह मे प्रेषित करने हेतु आदेशित किया गया है। लेकिन फिलहाल जिले में डग्गामार वाहनों का आलम देखकर साफ अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन्हें शासन प्रशासन का कोई भय नहीं है। जिसके चलते राजस्व विभाग को लाखों रुपए की हानि पहुंच रही है।

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