नई दिल्ली। भारत में भूकंप की घटनाओं में बीते एक दशक में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। उत्तर भारत के कई राज्य भूकंप के खतरनाक जोन में हैं जिनमें से एक दिल्ली भी है।
दरअसल भूकंप की आवृत्ति बढ़ने के पीछे टेक्टोनिक प्लेटों का खिसकना एक बड़ी वजह माना जाता है, लेकिन भूगर्भ विज्ञानी और सिस्मोलॉजिस्ट ने बीते कई सालों के अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है कि भारत हर साल 5 सेंटीमीटर यूरेशिया (जिसमें यूरोप और एशिया के महाद्वीप आते हैं) की तरफ बढ़ रहा है।
इसे भूकंप के बड़े कारणों में से एक माना जा रहा है। भूगर्भ विज्ञानियों का दावा है कि आने वाले समय में एक बड़ा भूकंप उत्तर भारत में आ सकता है, हालांकि इससे होने वाले नुकसान को कम करने के लिए कुछ उपाय अपनाए जा सकते हैं।
इस बीच, वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि हिमालय क्षेत्र में एक भूकंप आने का खतरा मंडरा रहा है बड़े इलाके पर असर डाल सकता है. वैसी स्थिति में जान-माल का नुकसान न्यूनतम करने के लिए पहले से बेहतर तैयारी जरूरी है।
आईआईटी कानपुर के पृथ्वी विज्ञान विभाग के प्रोफेसरों ने भी भविष्य में एक बड़े भूकंप के आने की आशंका जताई है। उनका कहना है कि धरती के नीचे भारतीय प्लेट व यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव बढ़ रहा है।
भूकंप पर शोध करने वाले वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी, देहरादून के वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिंदुकुश पर्वत से पूर्वोत्तर भारत तक का हिमालयी क्षेत्र भूकंप के प्रति बेहद संवेदनशील है, उसके खतरों से निपटने के लिए संबंधित राज्यों में कारगर नीतियां नहीं हैं जो बेहद चिंताजनक है।
वैज्ञानिकों ने चेतावनी है कि भूकंप के प्रति संवेदनशील इलाकों में वृद्धि के कारण हिमालय क्षेत्र की जनसांख्यिकी में भी बदलाव आ सकता है. विशेषज्ञों ने हिमालय क्षेत्र में एकत्र हो रही भूगर्भीय ऊर्जा और नए भूस्खलन जोन के मद्देनजर सुरक्षित स्थानों को चिन्हित करने की सलाह दी है।