नयी दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर बढ रहा है और वर्ष 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये तथा रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की उम्मीद है।
रक्षा मंत्री ने शनिवार को यहां एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार वर्ष 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दीर्घकालिक परिणामों पर ध्यान केंद्रित कर रही है, न कि अल्पकालिक परिणामों पर। उन्होंने मौजूदा तथा पिछली सरकार की तुलना करते हुए कहा कि दोनों के बीच ‘दीर्घकालिक योजना और दीर्घकालिक लाभ को प्राथमिकता देना’ मुख्य अंतर है।
सिंह ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकारों के विपरीत मौजूदा सरकार ने ऐसी नीतियां बनाई और लागू की हैं, जो केवल पांच वर्षों के लिए अल्पकालिक लाभ प्रदान नहीं करती हैं। उन्होंने पिछले कुछ वर्षों में लंबी अवधि के फायदे के लिए रक्षा क्षेत्र में किए गए सुधारों का उल्लेख किया, इनमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद का सृजन और सैन्य मामलों के विभाग की स्थापना करना शामिल है, जिससे तीनों सेनाओं के बीच साझेदारी, तालमेल तथा सुचारू समन्वय बढा है।
उन्होंने बताया कि सरकार सेना, नौसेना और वायु सेना के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जो संकट के समय में उनके बीच बेहतर समन्वय सुनिश्चित करेगा। उन्होंने कहा कि पहले तीनों सेनाएं ‘साइलो’ में काम करती थीं। हमने उनके एकीकरण पर ध्यान केंद्रित किया है, जो लीक से हटकर कर एक अलग कदम था और यह समय की मांग भी थी। श्री सिंह ने कहा कि शुरुआत में ऐसा करना थोड़ा कठिन था, लेकिन आज हमारी सेना बेहतर समन्वय के साथ हर चुनौती से निपटने के लिए मिलकर काम करने को तैयार है।
रक्षा मंत्री ने रक्षा विनिर्माण के क्षेत्र में उठाए गए प्रमुख कदमों पर अपने विचार रखते हुए कहा कि रक्षा मंत्रालय ने सेवाओं की पांच सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियां अधिसूचित की हैं, जिनमें 500 से अधिक उपकरण और चार अन्य सूचियां शामिल हैं, इसमें डीपीएसयू के लिए 4,600 से अधिक घटक व उपकरण शामिल हैं, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि सैनिक भारत में बने हथियारों तथा प्लेटफार्मों का इस्तेमाल करें। उन्होंने स्थानीय कंपनियों से खरीद के लिए पूंजी अधिग्रहण बजट का 75 प्रतिशत हिस्सा निर्धारित करने के निर्णय का भी उल्लेख किया। श्री सिंह ने कहा कि कुछ लोगों का मानना था कि स्वदेशी हथियार विश्व स्तरीय नहीं होंगे लेकिन वर्तमान सरकार घरेलू उद्योग की क्षमताओं में विश्वास करती है और वे सभी लगातार अत्याधुनिक उत्पादों में सुधार और वितरण कर सकते हैं।
सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि रक्षा क्षेत्र को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने तथा प्रधानमंत्री के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के लक्ष्य को हासिल करने के उद्देश्य से दीर्घकालिक लाभ के लिए इसमें आमूलचूल परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने कहा कि हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगाना एक अल्पकालिक कठिनाई थी, लेकिन आज वह चुनौती धीरे-धीरे अवसर में बदल रही है और भारत दुनिया के रक्षा औद्योगिक परिदृश्य पर आगे बढ़ रहा है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आज हमारी सेना उन हथियारों और प्लेटफार्मों का उपयोग कर रही है, जिनका निर्माण भारत में ही किया जा रहा है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि कोई भी सेना बाहर से आयातित उपकरणों से अपने देश की रक्षा नहीं कर सकती है और आज के समय में भारत के लिए रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता आवश्यक है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भरता की दिशा में सरकार के लगातार प्रयास अब लाभ देने लगे हैं क्योंकि रक्षा उत्पादन एक लाख करोड़ रुपये से अधिक हो चुका है।
सिंह ने इस तथ्य को दोहराया कि उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारे स्थापित करने जैसी पहल के माध्यम से सरकार यह सुनिश्चित कर रही है कि आधुनिक सैन्य साजो-सामान न केवल भारत में निर्मित हो, बल्कि उन्हें मित्र देशों को भी निर्यात किया जाए। उन्होंने कहा कि पहले, भारत को हथियार आयातक राष्ट्र के रूप में जाना जाता था लेकिन आज प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हम अपने कम्फर्ट जोन से बाहर आ गए हैं और हमने हथियार निर्यातक शीर्ष-25 देशों की सूची में जगह बना ली है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सात-आठ साल पहले, रक्षा निर्यात 1,000 करोड़ रुपये तक भी नहीं पहुंच पाता था, जबकि आज यह 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि 2028-29 तक वार्षिक रक्षा उत्पादन तीन लाख करोड़ रुपये और रक्षा निर्यात 50,000 करोड़ रुपये तक पहुंचने की आशा है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि जहां सरकार बड़ी कंपनियों को बढ़ावा दे रही है, वहीं वह स्टार्ट-अप के माध्यम से रक्षा क्षेत्र में प्रतिभाशाली युवाओं को भी आमंत्रित कर रही है, उन्होंने इसे दीर्घकालिक लाभ के लिए उठाया गया एक और कदम बताया। रक्षा मंत्री ने कहा कि आने वाले 20-25 वर्षों में ये कंपनियां अपने नवाचारों के दम पर वैश्विक मंच पर भारत की सशक्त पहचान को एक नया आयाम देने में सहायता करेंगी।